भाजपा की राजनीति में इन दिनों एक नया समीकरण नजर आने लगा है। युवा सांसद अनिल फिरोजिया और युवा मंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार एकदूसरे के साथ नजर आ रहे हैं। कई मामलों में दोनों एकदूसरे का पक्ष रखते हुए भी नजर आए हैं। वहीं कई मामलों में एकदूसरे की बातों का समर्थन भी किया है।
जिस तरह से यह जोड़ी भाजपा की राजनीति में ताकतवर होती जा रही है उससे कई नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी हैं। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के भोपाल से लेकर दिल्ली तक के संबंध किसी से छिपे हुए नहीं हैं। कुछ ऐसा ही मामला सांसद अनिल फिरोजिया का भी है।
सांसद फिरोजिया के अनुरोध पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मेडिकल कॉलेज की घोषणा हाथों हाथ कर दी थी। वहीं दिल्ली रहते-रहते सांसद ने भी वहां पर संबंध मजबूत कर लिए हैं। यही बात भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं का पेट दु:खा रही है।
तमाम राजनीतिक शंका-कुशंकाओं के बीच डॉ. मोहन यादव ने दक्षिण विधानसभा से पिछले बार से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। ऐसा ही रिकार्ड सांसद का भी रहा है। भले ही वह विधानसभा चुनाव में तराना हारे थे, किंतु लोकसभा चुनाव में उन्होंने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। वह भी उन परिस्थितियों में जब बलाई और गैर बलाई समाज का विवाद चरम पर था।