पारस पीपल, शमी और पीपल के पेड़ों को दिया जीवनदान, एक शमी का पौधा भी लगाया
उज्जैन (पं. प्रबोध पांडेय)। आज विश्व पर्यावरण दिवस है। उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) द्वारा महाकाल विस्तारीकरण योजना के तहत महाकालेश्वर मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान उन पेड़ों को बचाया गया है। जो कि जीवनदाई आक्सीजन प्रदाय करते हैं। उज्जैन विकास प्राधिकरण की टीम बधाई की हकदार है कि उसने विश्राम धाम बनाए जाने के दौरान मार्ग में आने वाले 11 पेड़ों को जीवनदान देकर विश्व पर्यावरण दिवस की अवधारणा को साकार किया। प्राधिकरण के इंजीनियरों द्वारा परिसर में एक शमी के पौधे का रोपण भी किया गया है। जोकि पल्लवित हो रहा है।
महाकाल विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत महाकाल मंदिर के आगे के भाग में मार्च माह से उज्जैन विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों और कर्मचारियों द्वारा काम शुरू कर दिया गया था। खुदाई में एक पारस पीपल, 7 पीपल और एक शमी का पेड़ बाधक बन रहे थे। लेकिन टीम के इंजीनियरों द्वारा पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इनको जमींदोज नहीं कर इनकी सुरक्षा के लिए सीमेंट कांक्रीट से गोलाकर सुरक्षा वॉल बना दी गई, ताकि मिट्टी धंसे तो पेड़ नहीं गिर पाए।
इसके आसपास वृत्ताकार 4 फीट के गोले सीमेंट कांक्रीट के बनाकर इन पेड़ों का बचाव किया गया। जो कि काफी गहरी खुदाई करने के बावजूद अभी तक खड़े हुए हैं। इसका पूरी टीम जिसमें प्राधिकरण सीईओ सुजानसिंह रावत, कार्यपालन यंत्री केसी पाटीदार, सहायक यंत्री प्रमोद कुमार जोशी और सब इंजीनियर प्रवीण कुमार दुबे प्रशंसा के लायक है। जिसने विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को ग्रीन झोन बनाने में योगदान दिया है।
प्रतिदिन पानी देने के लिए कर्मचारी नियुक्त
इन पेड़ों को पानी देने और इनका जीवन बचाने के लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण ने नगर निगम के दिव्यांग पॉर्क से निवृत्त हो चुके कर्मचारी को लगाया है। जो कि प्रतिदिन इन जीवनदाई पेड़ों की देखभाल कर इनको पानी देता है। इसके द्वारा शमी के दो पौधे भी लगाए गए थे, लेकिन इनमें से एक पौधा मुरझा गया और दूसरा पल्लवित हो रहा है। उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा आगे और भी पौधे लगाने की योजना है। उद्यान का फर्श जब इसके बराबर हो जाएगा तब इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए 6 फीट की चौकोर दीवार भी बनाई जाएगी।
हंगामा होने से पहले ही पेड़ों की सुरक्षा
उज्जैन विकास प्राधिकरण ने जब खुदाई शुरू की और पेड़ों की कटाई करने के लिए जेसीबी लाई तो लोगों ने पेड़ों के जमींदोज होने की चर्चाएं शुरू कर दी थीं। यदि प्राधिकरण द्वारा पेड़ों को जमींदोज किया जाता तो बड़ा हंगामा शुरू होने में समय नहीं लगता और काम भी रुक जाता। लेकिन प्राधिकरण के इंजीनियरों ने पेड़ों को बचाने का संकल्प ले लिया था और इसको सार्थक भी कर विश्व पर्यावरण दिवस की कल्पना को मूर्तरूप दे दिया।