नागदा जं., अग्निपथ। कोरोना महामारी के इस दौर में शहर में संचालित होने वाली पैथ लेबों पर भी सवालिया निशान लग रहे है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी शहर के 10 बच्चों की सीआरपी रिर्पोट के संबंध में एक पैथ लेब संचालक को नोटीस जारी कर उससे जवाब मांगा है। वहीं निजी लैबों में की जाने वाली जांचों में भी भारी अंतर दिखाई दे रहा है। ऐसे में निजी पैथ संचालकों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते हुए दिखाई दे रहे है।
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में संचालित एक पैथ लेब में 10 बच्चों की सीआरपी जांच रिर्पोट लैब संचाक द्वारा सार्वजनिक करने के बाद बच्चों में घातक सिंड्रोम के लक्षण होने की अफवाह को जवाबदारों ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है। बीएमओ डॉ. कमल सोलंकी द्वारा लैब संचालक को नोटीस जारी कर व्यक्तिगत रिर्पोट किसी अन्य व्यक्ति को संचाक द्वारा किस अधिकार के तहत दी गई साथ ही 10 बच्चों की जांच किन-किन चिकित्सकों ने लिखी थी आदि का जवाब मांगा है। लैब संचालक को उक्त नोटीस का जवाब एक दिन में देना है।
गौरतलब है कि जवाहर मार्ग स्थित ब्लू पैथ लैब संचालक द्वारा गत दिनों 10 बच्चों की सीआरपी जांच रिर्पोट बिना स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के ही सार्वजनिक कर दी थी जिजसके बाद बच्चों में घातक सिंड्रोंम के लक्षण मिलने की अफवाह सबदुर फेल गई थी तथा बच्चों के अभिभावक भी काफी चिंता में आ गए थे। लैब संचालक की इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम आशुतोष गोस्वामी के निर्देश पर बीएमओ ने लैब संचालक को नोटीस जारी किया है।
जांच रिपोर्ट में आ रहा भारी अंतर
इस महामारी के दौर में एक बात और नागरिकों को परेशान किए हुए है। बताया जाता है कि निजी लैबों पर की जाने वाली जांचों की रिर्पोट में भारी अंतर दिखाई दे रहा है। मामले में सूत्र बताते हैं कि निजी लैबों पर की जाने वाली सीआरपी की जांच में काफी अंतर दिखाई दिया है। कहीं कहीं तो यह आंकडा 20-30 कम ज्यादा दिखाई दिया। ऐसे में निजी लैबों पर की जा रही जांचों पर एक दम से भरोसा किया जाना भी घातक हो सकता है। ऐसे में अधिकृत अस्पताल अथवा लैब पर ही जांच कराने की सलाह भी चिकित्सकों द्वारा दी जा रही है।