भोपाल। पेट्रोल-डीजल की कीमत कम होगी यह उम्मीद शायद भोपाल नगर निगम को भी नहीं है। यही वजह है कि निगम ने सस्ता डीजल खरीदनेे का नया जुगाड़ निकाल लिया है। नगर निगम भोपाल उप्र से डीजल खरीद रहा है। भोपाल से 333 किमी दूर झांसी से रोज एक टैंकर यानी 18 हजार लीटर डीजल भोपाल आता है। निगम को इस समय 83.50 रुपए प्रति लीटर (कंपनी से मिली छूट के बाद) दर पर डीजल मिल रहा है, जबकि शहर का आम आदमी इसे 95.96 रुपए में खरीद रहा है।
झांसी में मंगलवार को डीजल 87.27 रु. लीटर था। यानी निगम को एक लीटर डीजल पर 12.46 रु. बचत हो रही है। मप्र से यदि एक लीटर डीजल लिया जाए तो केंद्र सरकार के 31 रु. टैक्स के अलावा मप्र सरकार 28% यानी 23.38 रु. टैक्स लेती है और उप्र में यही टैक्स 17.48 प्रतिशत है। 18 हजार लीटर के हिसाब से उप्र सरकार को नगर निगम भोपाल रोज 2.6 लाख रु. टैक्स दे रहा है। यदि मप्र से निगम डीजल लेता तो इसी दाम पर 4.2 लाख रु. टैक्स देना होता।
निगम भोपाल में बेच भी रहा है डीजल
निगम भोपाल सिटीलिंक लि. की बसों और किराए की गाड़ियों को अपने पंप से डीजल बेच रहा है। बिना डीजल बिक्री का लाइसेंस लिए ऐसे डीजल नहीं बेचा जा सकता। निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी के मुताबिक उन्होंने डीजल के लिए टेंडर बुलाए थे और सरकारी ऑयल कंपनियों से ही डीजल ले रहे हैं। इससे बचत ही हो रही है।
राज्य सरकार को पेट्रोल-डीजल का सहारा; शराब-रजिस्ट्री से कमाई कम, पर पेट्रोल से पहली बार 14,000 करोड़ मिलेंगे
42 दिन में 23 बार दाम बढ़े, पेट्रोल 6.26 रु. महंगा
1 साल में पेट्रोल 27 रु. डीजल 27.69 रु. लीटर
सरकार को हर महीने 1150 करोड़ रु. मिले हैं
कोरोना से चरमराती राज्य की अर्थव्यवस्था को इस साल भी पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का सहारा मिल रहा है जबकि पहली तिमाही में रजिस्ट्री-शराब से अाय वृद्धि के अनुमान गड़बड़ा रहे हैं। लॉकडाउन से पेट्रोल-डीजल की बिक्री में 15-20% तक की गिरावट आने के बाद भी सरकार को हर महीने 1150 करोड़ रु. मिले हैं। अनुमान है कि इस साल पहली बार पेट्रोल-डीजल से 14,000 करोड़ रु. राजस्व मिल सकता है, टैक्स अधिक होने के कारण सरकार को पेट्रोल एक रुपया महंगा होने पर 39 पैसे और डीजल 1 रुपया बढ़ने पर 28 पैसे मिलते हैं।
इससे पेट्रोल 6.26 रु/लीटर और डीजल 7 रु./लीटर महंगा हो चुका है। इस बार रजिस्ट्री के जरिए 6,450 करोड़ की आय का अनुमान था, लेकिन लॉकडाउन और रेरा में प्रोजेक्ट अटकने से ये लक्ष्य पीछे रह सकता है। वहीं शराब राजस्व में 33% वृद्धि मुश्किल लग रही है। इसकी तुलना में पेट्रोल-डीजल में लगातार पैसा आ रहा है। सरकार को अभी 1150 करोड़ रुपए हर महीने मिल रहे हैं। दाम इसी स्तर पर बने रहे तो जुलाई-अगस्त से हर महीने कमाई 1200 करोड़ रु. पहुंच सकती है।