कोरोना की जाती लहर दंश दे गयी अग्निपथ परिवार को

कल तक मुझे बहुत गुरूर और अभिमान था कि कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद भी मेरे अग्निपथ परिवार का हर सदस्य और उसके परिजन सुरक्षित हैं, ऐसा नहीं है कि खतरनाक कोरोना ने अग्निपथ परिवार पर हमला ना बोला हो, परंतु अपनी हिम्मत और हौंसलों के दम पर मेरे अनेक साथियों ने कोरोना को करारी शिकस्त दी, परंतु आज एक दु:खद सूचना ने मेरे पैरों तले की जमीन ही खिसका दी।

दैनिक अग्निपथ की एक शाख, मेरा प्रिय साथी धार जिला ब्यूरो प्रमुख धीरेन्द्र सिंह कोरोना से जंग हारकर सदा-सदा के लिये हमसे बिछुड़ गया। आकर्षक व्यक्तित्व के धनी, धीरेन्द्र का असमय यूँ जाना मेरे लिये व्यक्तिगत क्षति है। ईश्वर ने मेरे प्रिय को मुझसे छीनकर मेरे गुरूर और अभिमान को चकनाचूर कर दिया है। जाती हुयी कोरोना की दूसरी लहर और मई का महीना मेरे दिल ओ दिमाग पर गहरी टीस और जीवन में गहरा जख्म छोड़ गया है।

करीब दो वर्ष पूर्व की बात है एक चुम्बकीय व्यक्तित्व और आकर्षक छवि वाला नवयुवक 6, घी मंडी दौलतगंज स्थित अग्निपथ मुख्यालय में आया था, जो उसकी डीलडोल से फिल्मी दुनिया के किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था, आते ही मुझसे बोला मेरा नाम धीरेन्द्र सिंह तोमर है, मैं धार रहता हूँ, रिश्ते में आप मेरे चाचा लगते हो, मैंने पत्रिका को अलविदा कह दिया है अब मैं अग्निपथ से जुडऩा चाहता हूँ। मैंने पूछ लिया ‘अग्निपथ’ को क्यों चुना? धीरेन्द्र बोला यहाँ कलम को आजादी है इसलिये।

उसने पहली ही मुलाकात में मुझे प्रभावित कर दिया था, खैर, वह अग्निपथ से जुड़ा और बहुत जल्द ही अग्निपथ परिवार का लाड़ला बन गया। धार जिले के सुदूर अंचलों सरदारपुर, अमझेरा, राजगढ़ ऐसे स्थानों पर अग्निपथ की एजेंसियां बनाकर संवाददाता नियुक्त करवाये, हमेशा कहता था चाचा जी हम सब मिलकर अग्निपथ को ऊँचाइयों पर ले जायेंगे।

ऊर्जा से भरपूर सकारात्मक सोच वाले धीरेन्द्र को मां सरस्वती का भी आशीष था। उसकी कलम से लिखी स्टोरी में एडिटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान वह अपनी कलम से सबको जागरूक करता रहा और जो लोग संकट की इस घड़ी में अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे उनका मनोबल लगातार बढ़ाता रहा। किसे पता था सबको जगाने वाला कलम का सिपाही सबको जगाते-जगाते खुद ही चिरनिद्रा में सो जायेगा।

धीरेन्द्र को 50 प्रतिशत कोरोना संक्रमित होने के बाद उपचार हेतु एप्पल हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया था। जहाँ उसने कोरोना से जंग भी जीत ली थी। वह निगेटिव भी हो गया था उसे आई.सी.यू. से भी बाहर ले आया गया था, तीन दिन बाद उसे फिर बुखार आया डॉक्टरों ने निमोनिया बता दिया और फिर वह उठ नहीं पाया।

धीरेन्द्र के भाई से संक्रमण की शुरुआत हुयी थी और वह पूरे परिवार में फैलता चला गया सबकी सेवा-सुश्रुषा करते-करते वह कब संक्रमित हो गया उसे पता ही नहीं चला इस बीच वैक्सीनेशन का नंबर आ गया और उसने कोरोना संक्रमित होने के बाद वैक्सीन लगवा ली शायद उसकी यह भूल जानलेवा साबित हुयी।

धीरेन्द्र का मात्र 35 वर्ष की अल्प आयु में यूँ जाना अखर गया।
परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि परिवार पर दु:खों का जो पहाड़ टूटा है उससे मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करें। अग्निपथ एवं चंदेल परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि। बहुत याद आओगे प्यारे धीरेन्द्र।

– अर्जुनसिंह चंदेल

Next Post

शादी कारोबारियों में मायूसी, अनलॉक में भी नहीं मिलेगा व्यवसाय का अवसर

Mon May 31 , 2021
उज्जैन, (हरिओम राय) अग्निपथ। इन दिनों शहर का एक बड़ा सेवा प्रदाय समूह संकट के दौर में है। लगातार दूसरे वर्ष भी कारोबार ठप होने से शादी समारोह से जुड़े व्यापारी व परिवारजनों के सामने पेट भरने के भी लाले पड़ रहे हैं। कोरोना कॉल में अनलॉक होने जा रहे […]

Breaking News