कार्तिक व अगहन मास में भी निकलती है महाकाल की सवारियां
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल की पहली सवारी में 27 अक्टूबर को पहली बार मंदिर का खुद का बैंड शामिल होगा। अभी तक पुलिस बैंड सवारी में निकलता आया है।कार्तिक और अगहन मास में भी भगवान महाकाल की सवारियां निकलती है। मंदिर प्रबंध समिति इसकी तैयारियों में जुटी हे।
यह पहला मौका होगा जब मंदिर का बैंड सवारी की शान बढ़ाएगा। शाम 4 बजे सभामंडप में पूजन के बाद सवारी शुरू होगी। भगवान महाकाल श्रावण, भादो मास के बाद एक बार फिर चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। हाल ही में समिति ने अपना खुद का बैंड तैयार किया है जिसका मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दिवाली पर शुभारंभ किया था।
30 सदस्यीय बैंड धार्मिक धुन बजाते निकलेगा
मंदिर के बैंड में 30 सदस्य है जो कि सवारी में धार्मिक धुन बजाते हुए पहली बार शामिल होंगे। इसमें विभिन्न वाद्य यंत्रों का समावेश किया गया है। समिति के सहायक प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि भगवान महाकाल की कार्तिक मास में यह पहली सवारी होगी जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के बीच यह बैंड आकर्षण का केंद्र रहेगा। सवारी में पारंपरिक रूप से पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल और भजन मंडलियां पूर्व की तरह ही शामिल रहेंगे।
महाकाल से नदी पहुंचेगी, फिर गणगौर दरवाजे से निकलेगी
सवारी महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होकर शिप्रा तट पहुंचेगी। जहां पूजन-अर्चन के बाद गणगौर दरवाजा से होकर निकलेगी। जबकि श्रावण, भादो में सवारी रामानुजकोट से होकर आगे जाती है। गणगौर दरवाजे से कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार से वापस महाकाल मंदिर लौटेगी।
