मानव जाति के लिये अशुभ रहा अमंगलकारी 2020, अलविदा

मनहूस 2020 की बिदायी में मात्र लगभग 14-15 घंटे शेष है इस 2020 की मनहूसियत को 3 पीढिय़ां लगभग 50 वर्षों तक लोग भुला नहीं पायेंगे दुनिया भर में करोड़ों लोगों के घर के चिराग बुझाकर गया है यह अशुभ साल। इस वर्ष के शुरुआती 6 माह (जनवरी से जून) के उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार 6 माह में ही कायनात में लगभग 200 प्राकृतिक आपदाये आयी है जो कि वर्ष 2019 के मुकाबले 27 प्रतिशत अधिक है। दुनिया भर में आयी इन आपदाओं से 5,61,881 करोड़ का नुकसान हुआ है।

इन आई आपदाओं में से 95 प्रतिशत आपदाएँ मौसम संबंधित थी। सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान 1,12,376 करोड़ का चक्रवाती तूफान अम्फान से हुआ है। 1999 के बाद आये इस अम्फान तूफान ने भारत बांग्लादेश में भारी तबाही मचाई और इसमें 2200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई आर्थिक नुकसान की भरपाई तो जैसे-तैसे हो जायेगी परंतु पृथ्वी की सबसे बड़ी आग इस 2020 में आस्टे्रलिया के जंगलों में लगी आग जिसमें 1 अरब 25 करोड़ जीव-जंतुओं की आग में जलकर असमय मौत हो गई। 2 करोड़ 72 लाख एकड़ जंगल और प्राकृतिक पार्क राख में तब्दील हो गये। प्रलयंकारी आग ने 93522 इमारतों और 3500 से ज्यादा घरों को भी चपेट में ले लिया साथ ही 451 लोगों की भी मौत हो गई। इन नष्ट हुए जंगलों और जीव-जंतुओं की भरपाई में सदियां लग जायेंगी।

वर्ष 2020 में कोरोना रूपी प्राकृतिक आपदा ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा दिया है चीन के वुहान शहर से प्रकट हुई इस रहस्यमयी बिमारी से अभी तक दुनिया 8.23 करोड़ मनुष्यों को संक्रमित कर दिया है और 17.96 लाख इंसानों को मौत की नींद सुला दिया है। यदि कोरोना की बात भारत के संदर्भ में की जाए तो 1 करोड़ 02 लाख, 44 हजार 853 भारतीय संक्रमित है और 1 लाख 48 हजार 439 लोगों की कोविड-19 से मौत हो चुकी है। इस कोरोना ने ज्ञान-विज्ञान, चिकित्सा-वैज्ञानिकों को नाकों चने चबवा दिये हैं। संसार में कोरोना को आये लगभग 1 वर्ष पूरा हो चला है। परंतु वैक्सीन से लाभ की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। कोविड-19 से विज्ञान अभी निपट नहीं पाया है इस बीच इसका नया अवतार ‘स्ट्रेन’के नाम से फिर आ गया है जिसने चिकित्सा संसार के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। सारी दुनिया को आर्थिक रूप से तबाह कर चुके कोरोना ने भारत जैसे विकासशील देशों की तो कमर ही तोडक़र रख दी है। लॉकडाउन से औंधे मुँह गिरे बाजार अभी तक नहीं संभले हैं।

प्रायवेट कंपनियों में ‘वर्क फ्राम होम’, बच्चों की ऑनलाईन पढ़ाई जैसी अनेक नई चीजें देखने और समझने को मिली जिनकी किसी ने परिकल्पना भी नहीं की थी। महानगरों से लाखों लोगों के पलायन और बेरोजगारी जैसे त्रासदी भी हमने 2020 में भोगी है।

इनके अलावा इसी वर्ष देश और दुनिया में भूकंप के भी सैकड़ों झटके आये परंतु सौभाग्य बहुत अधिक जानें इसमें नहीं गई। पर्यावरण असंतुलन के कारण दुनिया के भारत सहित कई देशों में अधिक वर्षा हुई भारत में नदियों ने अपनी मर्यादा लांघकर तटबंधों को पार कर विभिषिका मचाई फसलों का नुकसान किया साथ ही बाढ़ का पानी शहरों में भी घुसा और आर्थिक नुकसान हुआ। वर्षो बाद टिड्डी दलों का भी हमला हुआ जिसने फसलों को नुकसान पहुँचाया।
कुल मिलाकर वर्ष 2020 सम्पूर्ण मानव जाति के लिये अमंगलकारी और अशुभ साबित हुआ है और जो टीस यह देकर जा रहा है उसका दर्द लंबे समय तक महसूस होगा। मृत्युलोक के राजा भूतभावन बाबा महाकाल से हम प्रार्थना करते हैं कि कुछ ही घंटों बाद प्रारंभ होने वाला नववर्ष 2021 सारे ब्रझांड के लिये मंगलकारी और शुभ साबित हो।

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