कान्हा की मूर्ति तो वापस की, लेकिन स्थानीय साधु-संतों के साथ किया विवाद

मामला 11 मुखी हनुमान मंदिर के महंत द्वारा परिक्रमा कराने लाए कान्हा की मूर्ति को वापस न लौटाने का

उज्जैन, अग्निपथ। गयाकोठा स्थित 11 मुखी हनुमान मंदिर के महंत द्वारा परिक्रमा कराने लाई कान्हा की मूर्ति को अभिषेक पूजन के लिए रख लिया गया। ऐसे में कान्हा की मूर्ति लाए डॉक्टर दंपत्ति आक्रोशित हो गए और उन्होंने पुलिस को सूचना देकर बुलवा लिया। लेकिन इसके बाद भी महंत मूर्ति वापस करने को तैयार नहीं थे। यह घटना रविवार रात को शुरू हुई। जो कि सोमवार की दोपहर जाकर समाप्त हुई, जब स्थानीय साधु-संतों की सहायता से मूर्ति को वापस दंपत्ति को लौटाया गया। हालांकि महंत ने स्थानीय साधु-संतों के साथ विवाद भी किया। इस मामले में पुलिस की भूमिका काफी सराहनीय रही जिसने बिना विवाद के मामले को निपटा लिया।

माधव नगर अस्पताल में पदस्थ डॉ. सुनील शर्मा अपना तबादला ग्वालियर होने पर जाने से पूर्व रविवार की शाम को अपने घर के देवता कान्हा की मूर्ति को शहर के सभी मंदिरों की परिक्रमा कराने लाए थे। डॉक्टर दंपत्ति 11 मुखी हनुमान मंदिर पहुंचे और यहां उन्होंने परिक्रमा लगाकर कान्हा की मूर्ति को रख दिया। लेकिन जब वह वापस लेने लगे तो उनको महंत महावीर दास द्वारा रोक दिया गया। उनका कहना था कि अभिषेक पूजन होने के बाद मूर्ति को वापस ले जाना। लेकिन डॉक्टर दंपत्ति मूर्ति को वापस ले जाने पर अड़ गए। इसके चलते विवाद की स्थिति निर्मित हो गई। इस बात की सूचना डॉक्टर दंपत्ति ने चिमनगंज पुलिस को दी। रविवार की देररात 1.30 बजे तक मूर्ति वापस दिलाने का प्रयास पुलिस करती रही।

साधु-संतों की सहायता से मूर्ति वापस

मामला धार्मिक होने और विस्फोटक न हो जाए इसको लेकर पुलिस काफी सतर्क रही। उसने बिना किसी दबाव के मूर्ति वापस दिलाने का प्रयास जारी रखा। इसी को लेकर चिमनगंज टीआई सोमवार की दोपहर मंदिर पहुंचे और उन्होंने स्थानीय महंत मुनिशरण दास, बलराम दास सहित अन्य महतों की सहायता से मूर्ति वापस ली। लेकिन जब सभी जाने लगे तो फिर से महंत ने स्थानीय साधु-संतों के साथ विवाद किया। पुलिस साथ होने के चलते मामला शांत हो गया।

पत्नी भूख हड़ताल पर बैठी

जानकारी में आया है कि डॉ. सतीश शर्मा की धर्मपत्नी अपने गृह देवता की प्रतिमा वापस नहीं मिलने के चलते रविवार की रात से ही घर में भूख हड़ताल पर बैठ गई थी। उनके पति ने भी मूर्ति नहीं मिलने के चलते कुछ भी नहीं खाया था। आखिरकार उनको सोमवार की दोपहर मूर्ति मिल गई। बताया जाता है कि सोमवार की रात को मूर्ति सहित उनको ग्वालियर प्रस्थान करना था। डॉ. शर्मा माधव नगर अस्पताल के कोविड वार्ड में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

तीन पुजारी यहां से जा चुके

जानकारी में आया है कि 11 मुखी हनुमान प्रतिमा की स्थापना तांत्रोक्त विधि से की गई है। जिसके चलते यहां पर कोई भी महंत अथवा पुजारी टिक नहीं पाता। महंत के मामले में भी यही हुआ। उनका दिमाग भी नहीं चल पा रहा था जबकि डॉक्टर दंपत्ति उनको कान्हा की नई मूर्ति लाकर देने की बात कह चुके थे। 11 मुखी हनुमान मंदिर के गादीपति आने के बाद ही स्थिति यथावत होगी और मंदिर फिर से आमजनों के लिए खुल पाएगा।

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