हारफूल वाले ने श्रद्धालु से ऐंठे रुपए, गाज 13 अस्थाई व्हीलचेयर कर्मचारियों पर गिरी

6 साल से सेवा दे रहे अस्थाई व्हीलचेयर कर्मचारियों को घर बैठाया, बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालु हो रहे परेशान

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में विगत 6 वर्षों से मंदिर में बाहर के लोग व्हीलचेयर कर्मचारी बनकर सेवा दे रहे हैं। जोकि अस्थाई रूप से मंदिर में सेवा देने के लिए पदस्थ हैं। लेकिन उन पर आज तक पैसे लेने का कोई भी आरोप नहीं लगा है।  बाहर के एक हार फूल वाले द्वारा व्हीलचेयर कर्मचारी बनकर महिला श्रद्धालु से 500 रुपए लिए जाने का मामला मंदिर प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद मंदिर के 13 अस्थाई व्हीलचेयर कर्मचारियों को घर बैठा दिया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में सिंहस्थ- 2016 से तिलक जोगी, कुलदीप जोगी, सुनील पवार, महेश बैरागी, कृष्ण माली, शांतिलाल बैरागी, हेमंत चौहान, सुशील पाटीदार, पुष्पेंद्र जोगी, रूपेश कहार, गोविंद रामटेके, धर्मेंद्र जोगी, लोकेश जोगी और श्याम बैरागी अस्थाई रूप से व्हीलचेयर चला भगवान महाकाल के दर्शन करने आने वाले बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। बदले में श्रद्धा स्वरूप उनको जो कुछ भी श्रद्धालु भेंट में देता है उससे अपना घर चलाते हैं। लेकिन जबरदस्ती किसी से भी अनावश्यक पैसा लेने का मामला इनके द्वारा संज्ञान में आज तक नहीं आया है। लेकिन एक मामले ने इनकी नौकरी पर संकट के बादल
मंडरा दिए हैं।

व्हीलचेयर चलाने से किया मना

दो-तीन दिन पहले जयसिंहपुरा निवासी हार फूल वाला जिसका नाम भूरु है। उसके द्वारा एक बुजुर्ग महिला को काउंटर कर्मी द्वारा कहे जाने के पश्चात व्हील चेयर पर बैठाया गया था और उसको भगवान महाकाल के दर्शन करवाए गए थे। जानकारी में आया है कि उसके द्वारा श्रद्धालुओं से 500 रुपए लिए गए थे।

शनिवार की सुबह उक्त सभी व्हीलचेयर कर्मचारियों के पास स्थापना शाखा प्रभारी मोहित ठाकुर द्वारा सूचना भिजवाई गई। जिसमें कहा गया कि सभी व्हीलचेयर कर्मचारी अपने आईडी कार्ड जमा करवा कर व्हीलचेयर नहीं चलाएं। बताया जाता है कि मंदिर प्रशासक नरेन्द्र सूर्यवंशी की ओर से ऐसा आदेश जारी किया गया था। इसके बाद उक्त सभी व्हीलचेयर कर्मचारियों के चेहरे पर मायूसी देखी गई।

इनमें से कई तो फूट-फूट कर भी रोने लगे। उनका कहना था कि वह जबरदस्ती श्रद्धालुओं से पैसे नहीं लेते हैं और ना ही उनके द्वारा सेटिंग कर श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के दर्शन कराए जाते हैं।

बुजुर्ग दिव्यांग हुए परेशान

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा दो शिफ्ट में 5 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है जो कि व्हीलचेयर सेवा प्रदान करते हैं। इनमें से तीन कर्मचारी मंदिर प्रबंध समिति के हैं और 2 कर्मचारी आउट सोर्स कंपनी केएसएस द्वारा दिए गए हैं। लेकिन इतने कम कर्मचारी होने के चलते मंदिर आने वाले बुजुर्ग और दिव्यांग व्हीलचेयर कर्मचारी का इंतजार करते रहते हैं।

लिहाजा उक्त 13 कर्मचारियों की सेवा अस्थाई तौर पर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा ली जाती रही है। इनको बकायदा आई कार्ड भी मुहैया कराए गए थे। लेकिन शनिवार को इन कर्मचारियों को घर बैठा देने के कारण मंदिर आने वाले बुजुर्ग और दिव्यांग काफी परेशान होते रहे। उनके साथ में आने वाले लोगों ने मंदिर की व्हीलचेयर लेकर उनको भगवान महाकाल के दर्शन कराए। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक बाहरी व्यक्ति की गलती से मंदिर में विगत 6 वर्षों से कार्यरत व्हीलचेयर अस्थाई कर्मचारियों को नौकरी से हटा देना कहीं ना कहीं मंदिर प्रशासन की जल्दबाजी नजर आती है।

जैसा सोचा था, वैसा नहीं हुआ

श्री महाकालेश्वर मंदिर में तत्कालीन कलेक्टर संकेत भोंडवे द्वारा बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए महाकाल धर्मशाला से लेकर महाकाल प्रवचन हाल तक व्हीलचेयर रैंप बनाए गए थे। यहां पर ऐसी टाइल्स भी लगाई गई थीं जिनको स्पर्श कर आंखों से नहीं देखने वाले दिव्यांग आसानी से जाकर भगवान महाकाल के दर्शन कर सकें। टाइल्स और रैंप इसलिए बनवाए गए थे ताकि व्हीलचेयर लाने ले जाने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो सके। इसको लेकर महाकालेश्वर मंदिर को देश का एकमात्र मंदिर का तमगा भी मिला था। लेकिन श्री भोंडवे के उज्जैन से स्थानांतरण के बाद यह व्यवस्था बिगड़ती गई। बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए मंदिर में अभी भी सही तरह की व्यवस्था लागू नहीं हो पाई हैं।

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