पर्यूषण पर्व अंतर्गत खाराकुआ पेढ़ी मंदिर पर सादगी के साथ मना जन्म वाचन समारोह, आचार्य मुक्ति सागर सूरी की निश्रा में हुआ आयोजन
उज्जैन, अग्निपथ। खाराकुआ स्थित श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी मंदिर पर पर्यूषण पर्व अंतर्गत मंगलवार को प्रभु का जन्म वाचन सादगी के साथ मना। शुरुआत में 14 सपना जी के चढ़ावे बोले गए। मालव मार्तंड आचार्य मुक्ति सागर सूरी , मुनि अचलरत्न सागर , साध्वी शशि प्रभा श्री, साध्वी दमिता श्री की निश्रा में जन्मवाचन की प्रक्रिया हुई और माता त्रिशला के 14 स्वप्न के दर्शन कराए गए। जन्म वाचन होते ही समाज जनों ने अक्षत वर्षा कर श्रीफल वदारे। साथ ही केसरिया छापे भी लगाए गए। मंदिर में सभी प्रतिमाओं पर आकर्षक अंग रचना भी हुई।
पेढ़ी ट्रस्ट सचिव नरेंद्र जैन दलाल एवं राहुल कटारिया के अनुसार पेढ़ी मंदिर पर कुल 1.28 लाख मन की बोलिया लगी। पालना जी घर ले जाने का लाभ सूरज नगर निवासी कल्याणमल संजय कुमार जैन खलीवाला परिवार एवं लक्ष्मी जी की बोली का लाभ गौतमचंद पूनम चंद धींग परिवार ने लिया। जन्म वाचन उपरांत प्रभु को पालने में विराजमान कर लाभार्थी परिवार ने झूला झुलाया और फिर आरती उतारी। इस दौरान ट्रस्ट के संरक्षक जयंतीलाल जैन तेलवालाए अध्यक्ष सौरभ सिरोलिया, संजय जैन ज्वेलर्स, मनोहरलाल जैन, सुदीप धींग, नीलेश सिरोलिया, प्रकाश नाहर, ललित सिरोलिया, संतोष धींग, पारस हरणीया, संजय संघवी, बाबूलाल जैन बिजलीवाला सहित अन्य समाजजन मौजूद रहे। इसके पूर्व आचार्य श्री व मुनिश्री ने दौलतगंज स्थित कांच के जैन मंदिर एवं जयसिंह पुरा स्थित मंदिर पर भी जन्म वाचन किया।
हासामपुरा तीर्थ में मना जन्मवाचन
शहर से 13 किलोमीटर दूर अतिप्राचीन श्री आलौकिक पाश्र्वनार्थ जैन तीर्थ हासामपुरा में भी मंगलवार दोपहर 12.39 बजे जन्मवाचन समारोह मना। जिसमें कुल 20458 मन का चढ़ावा बोला गया। लक्ष्मीजी व पालनाजी की बोली का लाभ राजमल मोहनलाल जैन परिवार हस्ते सौरभ जैन ने लिया। मैनेजिंग ट्रस्टी अशोक जैन ट्रांसपोर्टवाला के अनुसार जन्मवाचन पर मंदिर की आकर्षक साजसज्जा की जाकर प्रभु को रजत पालने में विराजित किया गया और महाआरती के बाद लड्डूओं की प्रभावना वितरित की गई।
शांतिनाथ जी मंदिर में भगवान महावीर का जन्म वाचन मनाया
उज्जैन। स्थानीय शांतिनाथ मंदिर में विराजित गणाधीश विनय कुशल मुनि महाराज एवं साध्वी की निश्रा में कल्पसूत्र वाचन के दौरान प्रभु महावीर का जन्म का प्रसंग समाजजनों की विशाल उपस्थिति में उल्लास एवं उत्साह से मनाजा जा रहा है। महावीर भगवान की माता ने प्रभु के जन्म से पूर्व जो 14 शुभ स्वप्न देखें। उनके चढ़ावे समाज जनों ने बढ़-चढक़र इतिहास बना दिया। तपस्या का क्रम भी बना हुआ है। वीस स्थानक तप, मोक्ष तप, समव शरण तप, तेला, अठाई तप में अपने आत्मकल्याण की भावना से अनेक लोग जुड़े हुए हैं और निरंतर तप कर रहे हैं। जानकारी अवंती पाश्र्वनाथ ट्रस्ट के सचिव आशीष सुराणा ने दी। पूज्य श्री की निश्रा में पर्युषण की आराधना करने के लिए भारत भर के विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु भक्तगण आराधना करने के लिए आए हुए हैं।