उज्जैन, अग्निपथ। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से जलकर वसूली के दो रसीद कट्टे गायब हो जाने की जानकारी सामने आने के बाद से ही हडक़ंप मचा हुआ है। मामला पुराना है लेकिन अधिकारियों के संज्ञान में अब आया है। रसीद कट्टे गायब होने की जानकारी मिलने के बाद उपखंड क्रमांक 1 के सहायक यंत्री ने कार्यपालन यंत्री को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है।
अप्रैल महीने में उपखंड क्रमांक 1 से 17 रसीद कट्टे जारी किए थे। इनमें से 9 कट्टे अलग-अलग काउंटर पर केशियर के पास मौजूद है। 5 रसीद कट्टो से बकाया वसूली का अभियान चलाया जा रहा है और 1 रसीद कट्टा विविध आय की रसीदों के लिए रखा गया है। 17 में से 15 रसीद कट्टे तो तलाश लिए गए है लेकिन 100-100 रसीदों वाले दो रसीद कट्टे लाख कोशिशों के बाद भी नहीं मिल पा रहे है।
आशंका यह भी है कि इन रसीद कट्टों का दुरुपयोग कर किसी तरह का गबन किया जा सकता है। यही वजह है कि मामले के सामने आते ही उपखंड क्रमांक 1 के सहायक यंत्री वाय.के. निगम ने तत्काल ही कार्यपालन यंत्री प्रमोद कुमार उपध्याय को न केवल मामले की जानकारी दी बल्कि उन्हें लिखित सूचना देकर खुद के हाथ भी बचाने की कोशिश की। खास बात यह है कि जिस कर्मचारी शोभाराम यादव ने रसीद कट्टे आवंटित किए थे, उनका देहावसान हो चुका है। यादव ने कट्टे किन्हें सौंपे थे, इनका आवंटन कागजों पर कहीं मौजूद नहीं है।
लोन दिलाकर वसूले गए गबन के रुपए-पीएचई में रसीद कट्टे गायब हो जाना और इनका दुरुपयोग होना नई बात नहीं है। लगभग 6 महीने पहले भी यहां इसी तरह का घटनाक्रम हो चुका है। खुलासा हुआ तो पता चला कि पीएचई का ही एक कर्मचारी बकाया वसूली की रसीदे काटकर रुपए बजाए विभाग के खजाने में जमा कराए, खुद के पास ही रखता रहा।
मामला खुला तो तत्कालीन अधिकारियों ने अपनी साख बचाने के लिए किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। इस कर्मचारी को विभागीय अधिकारियों ने ही बैंक से लोन दिलाया और इसके बाद इसी लोन की रकम से विभागीय राशि की रिकवरी कर मामले को दबा दिया गया।
दो साल में बंधा फाइलों का पुलिंदा
पीएचई से सामने आने वाले कारनामों की फेहरिस्त में एक और जानकारी सामने आई है। नई जानकारी यह है कि 2019 से लेकर 2021 के बीच लगभग 2 साल में पीएचई ने शहर में जितने भी नए नल कनेक्शन दिए है, उनकी फाइलें ही लेजर पर नहीं चढ़ सकी है। नए कनेक्शन वालों की डायरी तक नहीं बन सकी है। ऐसे कनेक्शन की संख्या 500 से ज्यादा है।