उज्जैन, अग्निपथ। कभी-कभी भलमनसाहत में किसी भी फरियादी के लिए, मदद की पहल करना भी सिरदर्द बन सकता है। जैसा सोमवार को तहसीलदार कोठी महल के साथ हुआ। अपनी कोर्ट के बाहर खड़े व्यक्ति को देखकर, उन्होंने अंदर बुलवा लिया। पूछ लिया-क्या काम है। इस सवाल के बदले उनको जबाब मिला कि…कलेक्टर का नाम हटाओ-मेरा नाम जोड़ो। नतीजा, तहसीलदार ने ऑर्डर मांग लिया।
कलेक्टर का नाम हटाओ-मेरा नाम जोड़ो..की यह अनोखी गुहार करने जांसापुरा के निवासी हैं। नाम अता उर्रहमान है। जो कि कोठी महल के हर नए तहसीलदार से यही गुहार लगाते हैं।
उनका यह दावा है कि..सिविल कोर्ट से, उनके पक्ष में, एक पक्षीय निर्णय हो चुका है। लेकिन जब तहसीलदार श्री शर्मा ने उनसे माननीय न्यायालय के निर्णय की कॉपी मांगी तो, वह लेकर आता हूं, कहकर चुपचाप वापस लौट गए।
विदित रहे कि वक्फ़ की जमीन पर भी, प्रबंधक के रूप में कलेक्टर का ही नाम रहता है। जिसको हटाने का अधिकार, तहसीलदार को नहीं होता है।
आदत ने डाला परेशानी में
ग्रामीण तहसीलदार श्रीकांत शर्मा की यह आदत है। वह जब भी अपनी कोर्ट में बैठते हैं। तो अक्सर, बाहर सहमे-सकुचे खड़े किसी भी फरियादी पर नजर पड़ते ही, बुला लेते हैं। पूछ लेते हैं-क्या काम है, क्यों आये हो। वर्तमान में उनके पास कोठी महल का अतिरिक्त प्रभार है। उसी कोर्ट में वह बैठे थे। सामने कोई दिख गया और आदत के अनुसार बुला लिया। तभी यह वाकया हुआ।