उज्जैन, अग्निपथ। नये कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण जल्दी ही पूरा होने वाला है। कोठी के समीप ही नया भवन बना है। मगर अब कलेक्टर ने नया तहसील भवन बनवाने का भी बीड़ा उठाया है। अगर जमीन की अदला-बदली हो गई। तो प्रशासनिक क्षेत्र भरतपुरी में नया तहसील कार्यालय बनेंगा।
कलेक्टर आशीषसिंह ने एक बढिय़ा जुगाड़ लगाई है। उज्जैन विकास प्राधिकारण और प्रशासन के बीच की जुगलबंदी। जमीन के बदले जमीन। दोनों का फायदा। उज्जैन विकास प्राधिकरण को कालोनी काटने का मौका मिलेगा और कमाई अलग से होगी। वहीं उविप्रा के नहीं बिक रहे प्लाटों पर नया तहसील भवन बनकर तैयार हो जायेगा। जिसको लेकर पत्राचार की कार्रवाई शुरू हो गई है। बस…अदला-बदली होते ही…काम शुरू होने में देर नहीं लगेगी।
7 बनाम 29…
विदित रहे कि नये तहसील भवन के लिए शासन द्वारा 7 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है। इस राशि से नये भवन का निर्माण कराना है। ऐसा कलेक्टर आशीषसिंह का कहना है। जिसके लिए जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव तैयार है। 1 हेक्टेयर के बदले 10 हेक्टयर जमीन देने की तैयारी है। उविप्रा सीईओ सोजान रावत की यही डिमांड है। उन्होंने बताया कि…उनकी 1 हेक्टेयर जमीन की कीमत वर्तमान में 29 करोड़ है। कालोनी विकसित करने के लिए 10 हेक्टेयर की जरूरत होती है।
नई कालोनी…
अभी हाल ही में दुकानों-प्लाटों की नीलामी करके उविप्रा मालामाल हुआ है। अब उसके हाथ फिर लॉटरी लगने वाली है। हरिफाटक ब्रिज से 100 मीटर दूर स्थित 60 बीघा जमीन, करीब 12 हेक्टयर जमीन वाली लॉटरी। जहां पर उविप्रा अपनी नई आवासीय कालोनी विकसित कर सकता है।
सर्वे नम्बर 3685-3686 और 3695 है। जिस पर प्रशासन का कब्जा है। बोर्ड भी लगा है। हालांकि इस खाली जमीन पर खेती होती है। लेकिन उविप्रा से अदला-बदली होने के बाद, इस पर कालोनी विकसित होगी। मास्टर प्लान में भी यह क्षेत्र आवासीय है।
बस शर्त यही है कि…इसके लिए उविप्रा को अपने प्रशासनिक क्षेत्र के प्लाट प्रशासन को देने होंगे।
राजी…
करीब 12 हेक्टेयर जमीन मिलने के बदले, उविप्रा सीईओ सोजानसिंह रावत को केवल 1 हेक्टेयर जमीन ही देनी होगी। इसके लिए वह राजी है। उविप्रा के लिए यह फायदे का सौदा होगा। क्योंकि जिन प्लाटों को देने की तैयारी है। वह करीब 15 सालों से खाली पड़े हंै। आज तक कोई खरीदार नहीं आया है। इस्कॉन मंदिर से लगी जमीन और रघुवंशम के पीछे की यह जमीन है। जो कि करीब 1 हेक्टेयर है। उविप्रा ने प्रशासनिक क्षेत्र के हिसाब से प्लाट काटे थे। ताकि यहां पर शासकीय कार्यालय स्थापित किये जा सकें।