संतों समेत सभी पक्षों से चर्चा करने के बाद होगा निर्णय -कैसे रुकेगा शिप्रा में आना कान्ह का गंदा पानी
उज्जैन, अग्निपथ। शिप्रा में खान नदी का दूषित पानी नहीं मिले इसके लिए संतों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को स्थगित करने के बाद उज्जैन आए जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने समस्या का हल निकालने के लिए जल्द ही सभी पक्षों को साथ में बैठाने की बात कही थी। बताया जाता है कि मंत्री सिलावट ने इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से चर्चा की।
इसके तहत मुख्यमंत्री चौहान ने समस्या निराकरण के लिए नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव मनीष सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन और अतिरिक्त मुखय सचिव नर्मदा घाटी विकास आरसीपी केशरी को उज्जैन भेजा है। उक्त तीनों उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्य के तौर पर उज्जैन आएंगे और सभी पक्षों से चर्चा करने के बाद समस्या का निराकरण के लिए हल पर विचार-विमर्श करेंगे।
बताया जाता है कि मंत्री सिलावट ने उज्जैन में आने पर मीडिया से चर्चा में कहा था कि 15 दिन से पहले ही समस्या के निराकरण के लिए वे काम करके बता देंगे। मंत्री सिलावट केन-बेतवा प्रोजेक्ट के लिए महाकाल से आर्शीवाद लेने आए थे।
उल्लेखनीय है कि इंदौर का गंदा पानी शिप्रा में आकर मिलता है। इसका उज्जैन में लंबे समय से विरोध हो रहा है। हाल ही में संत एकजुट होकर धरने पर बैठ गए थे। पिछले दिनों संतों ने मंत्री मोहन यादव के आश्वासन के बाद धरना समाप्त किया था। गंदे पानी को शिप्रा में रोकने के लिए एक स्टाप डेम बनाए जाने की बात कही जा रही है। इसकी लागत 4.75 करोड़ रुपए आंकी गई है।
इसे स्मार्ट सिटी के मद से कराए जाने की योजना है और इसके बनने में 4 से 6 माह लग सकते हैं। बताया जाता है कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने गोठडा स्टापडेम के नाम से प्रस्ताव तैयार कराया है। यह साढ़ 62 मीटर लंबा और साढ़े पांच मीटर ऊंचा रखा जा सकता है। मीटर की लंबाई और चौडाई इंदौर से आने वाले पानी की स्थिति देखकर तय की गई है।