15 साल में आईटी पार्क नहीं बनाने पर किया आवंटन निरस्त
उज्जैन, अग्निपथ। इस्कॉन मंदिर प्रमुख भक्ति चारू महाराज सहित कई अधिकारी के आईटी पार्क की जिस जमीन को लेकर लोकायुक्त जांच के घेरे में आए थे बुधवार को उज्जैन विकास प्राधिकरण ने वह जमीन वापस ले ली। वजह 15 साल पूर्व दी भूमि पर नियमानुसार निर्माण नहीं करना है।
यूडीए ने भरतपूरी स्थित 2.84 हैक्टेयर (करीब एक लाख स्क्वेयर फीट) भूमि 8 दिसंबर 2005 को वराह मिहिर इन्फोडोमिन प्रायवेट लिमिटेड को दी थी। इस्कॉन मंदिर की इस कंपनी को जमीन आईटी पार्क बनाने के लिए आवंटित की थी। संस्था ने पार्क बनाने के लिए बैंक से करोड़ों रुपए लोन लिया था, लेकिन न निर्माण शुरू किया था और न ऋण चुकाया था। शिकायत होने पर वर्ष 2011-12 में लोकायुक्त ने जांच शुरू की थी। मामले में यूडीए व बैंक अधिकारी के साथ भक्ति चारू महाराज (अब ब्रह्मलीन) भी जांच के घेरे में आए थे। हालांकि प्राथमिकी जांच के बाद मामला लंबित रह गया। बावजूद आईटी पार्क नहीं बनाने पर विकास प्राधिकरण ने आवंटन निरस्त कर बुधवार को जमीन का कब्जा ले लिया।
1.42 करोड़ की भूमि अब 50 करोड़ की
विकास प्राधिकरण ने आईटी पार्क बनाने के लिए लीज पर 1.42 करोड़ रुपए में दी थी। अब उक्त जमीन की कीमत करीब 50 करोड़ रुपए बताई जा रही है हालांकि आईटी पार्क के लिए आरक्षित यह भूमि प्राधिकरण किसी कंपनी को पार्क के लिए ही देगा या खुद बनाएगा।
ऐसे हुआ आवंटन निरस्त
लीज शर्तानुसार संस्था को एक साल में निर्माण शुरू करना था, नहीं होने पर 15 नवंबर 2019 को संचालक मंडल में मुद्दा आया। उन्होंने 21 जनवरी 2020 को लीज निरस्त तय करने पर 5 फरवरी को संस्था को नोटिस जारी कर दिया। संस्था ने इसके विरुद्ध न्यायालय में याचिका लगाई, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज की तो प्राधिकरण ने कोर्ट के निर्णयानुसार कब्जा ले लिया।
इन्होंने की कार्रवाई
मामले की जानकारी देते हुए यूडीए के पीआरओ प्रवीण गेहलोत ने बताया कि जमीन का कब्जा लेने के दौरान अधीक्षण यंत्री आरसी वर्मा, कार्यपालन यंत्री केसी पाटीदार, विनोद सिंघई, संपदा अधिकारी जयदीप शर्मा, सहायक यंत्री महेश गुप्ता, आरके ठाकुर, आरसी जाटवा, सतीश मुंगी, योजना प्रभारी महेश यादव, जियाउद्दीन कुरैशी व ब्रजभान यादव आदि मौजूद थे।