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नववर्ष के पहले दिन महाकालेश्वर में उमड़ा आस्था का सैलाब
- पहले दिन दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किये महाकाल दर्शन, कोरोना का भय लोगों में नहीं दिखा
उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में नववर्ष के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े कि पिछले वर्षों का रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया। लॉकडाउन के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम महाकालेश्वर मंदिर में देखने को मिला। हालांकि वैष्णो देवी हादसे के बाद सतर्कता के तौर पर मंदिर परिसर, 250 रुपए शीघ्र दर्शन और 100 रुपए प्रोटोकॉल टिकट को बंद कर दिया गया था। केवल सामान्य श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाते रहे। हालांकि इसके बावजूद भी वीवीआइपी को चोरी छुपे प्रोटोकॉल पाइंट से दर्शन कराने का सिलसिला चलता रहा।
नववर्ष के पहले दिन देश सहित प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को पहुंचे। सुबह 6 बजे से ही महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगने लगा था। यहां तक कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में जमा होकर छोटे मंदिरों में देव दर्शन करते रहे।
वैष्णो देवी में हुए हादसे की सूचना मिलने के बाद मंदिर प्रशासन जागा और उसने मंदिर परिसर को सुबह 8.30 बजे के लगभग बंद करवा दिया। श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में इतनी अधिक जुट गई थी कि मंदिर के सुरक्षाकर्मी जो कि 210 की संख्या में लगाए गए थे। वे भी कम पडऩे लगे। यहां तक कि उनको सफाई कर्मियों को भी श्रद्धालुओं को बाहर निकालने में लगाना पड़ा। यह भीड़ निर्गम गेट पर जाकर एकत्रित हो रही थी लेकिन उनको बाहर निकालने के लिए सुरक्षाकर्मी कहीं से कहीं तक तैनात नहीं दिखे।
हालांकि सुबह के समय सुरक्षाकर्मियों ने तत्परता दिखाई, लेकिन दोपहर तक यह व्यवस्था ध्वस्त होती दिखाई दी। श्रद्धालुओं की लाइन चारधाम से लेकर शंख द्वार तक लगातार चलती रही। सुबह से शाम हो गई थी, लेकिन सामान्य श्रद्धालुओं का भीड़ का तांता टूटने का नाम नहीं ले रहा था। प्रशासनिक अनुमान ेके मुताबिक इस दिन लगभग दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन का लाभ लिया।
250 और 100 रुपए टिकट करना पड़े बंद
वैष्णो देवी में हादसे के बाद मंदिर प्रशासन ने भी भारी भीड़ के हुजूम को देखते हुए 250 रुपए शीघ्र दर्शन टिकट को दोपहर 12 बजे बंद कर दिया। वहीं दोपहर 1 बजे के लगभग 100 रुपए प्रोटोकॉल टिकट को भी बंद कर दिया गया। इसके पूर्व इन दोनों टिकटों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का प्रवेश 4 और 5 नंबर गेट से चलता रहा।
जिसके चलते महाकाल प्रीपेड बूथ से लेकर हरसिद्धि मंदिर चौराहा तक भीड़ का सैलाब देखा जाता रहा। हालांकि टिकट बंद करने के बाद बड़ा गणपति मंदिर से लेकर हरसिद्धि चौराहा तक भीड़ का सैलाब देखा गया।
सभामंडप छत प्रवेश द्वार शुरू किया
सभामंडप की छत से कलेक्टर के निर्देश के बाद एक रास्ता निकाला गया था जोकि मंदिर परिसर की ओर खुलता है। यहां पर सीढिय़ां बनाकर पहले ही तैयार कर लिया गया था। मंदिर परिसर में जमा भीड़ का क्राउंड मैनेज करने के लिए इसको शुरू भी किया गया था और यहां से श्रद्धालुओं को बाहर भी निकाला गया, लेकिन बाद में मंदिर परिसर को बंद कर दिया गया।
हादसे का खौफ : हरसिद्धि मुख्य गेट किया बंद
नववर्ष के पहले दिन सुबह-सुबह लोग देव दर्शन को निकल गए थे। सांदीपनि आश्रम में नववर्ष के पहले दिन रजनीगंधा की कलियों से आकर्षक श्रृंगार किया गया। ठंड से बचाने के लिए भगवान को हिमाचल प्रदेश से लाई हुई पोशाख पहनाई गई। उनको गर्म नैवेद्य का भोग लगाया गया।
चिंतामन गणेश, महाकालेश्वर मंदिर, मंगलनाथ, हरसिद्धि मंदिर, कालभैरव, गढ़ कालिका मंदिर, चामुंडा माता मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यहां तक कि सुबह के समय हरसिद्धि मंदिर में देव दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए थे। श्रद्धालुओं के जमावड़े को देखते हुए हरसिद्धि मंदिर के मुख्य द्वार को वैष्णो देवी में हुए हादसे को देखते हुए बंद कर दिया गया था। मंदिर के दोनों ओर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोल रखे थे।