गोवर्धन सागर तट पर दोपहर 12 से 3 के बीच बैठकर गाएंगे रामधुन
उज्जैन, अग्निपथ। मां शिप्रा के शुद्धिकरण के आंदोलन के साथ ही उज्जैन के संत अब प्राचीन सप्तसागरों की बदहाल स्थिति की ओर भी शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करेंगे। शुक्रवार की सुबह 12 बजे से गोवर्धन सागर के तट पर धरना देकर रामधुन गाई जाएगी। धरने से पहले रामादल अखाड़ा परिषद के सदस्यों ने गुरुवार को सप्तसागरों की अवलोकन यात्रा की।
रामादल अखाड़ा परिषद के वरिष्ठ सदस्य महंत भगवानदास, महंत राघवेंद्र दास ने संयुक्त रूप से बताया कि गुरुवार को वैष्णव संतो ने अंकपात तीर्थ क्षेत्र स्थित विष्णु सागर से अवलोकन यात्रा आरंभ की। यह यात्रा पुरूषोत्तम सागर, गोवर्धन सागर, क्षीरसागर, पुष्कर सागर, रूद्र सागर होती हुई उंडासा स्थित रत्नाकर सागर पर पहुंची। यात्रा के उपरांत मक्सी रोड स्थित श्री हजारी हनुमान मंदिर पर वैष्णव संतो की बैठक आयोजित की गई। बैठक में उज्जैन तीर्थ क्षेत्र के अतिमहत्वपूर्ण सप्तसागरों को संरक्षित रखने, उनके विकास और पुनरूद्धार के लिए शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए बुधवारिया स्थित गोवर्धन सागर के तट पर शुक्रवार से धरना दिया जाएगा। यह धरना प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 बजे के बीच चलेगा।
लुप्त होने से बचाने के ठोस उपाय किए जाएं
रामादल अखाड़ा परिषद के सदस्य धरने के माध्यम से सप्तसागरों की भूमि का सीमांकन करने, सप्तसागरों से गंदगी साफ करने, इनका गहरीकरण करने और प्रत्येक सागर पर पूजन विधि के लिए घाट का निर्माण करने की मांग रखेंगे। इसके साथ ही प्रशासन से यह भी मांग की जाएगी कि सप्तसागरों की भूमि को संरक्षित कर इन्हें लुप्त होने से बचाने के ठोस उपाय किए जाएं।
गुरूवार को निकाली गई सप्तसागर अवलोकन यात्रा में प्रमुख रूप से महंत रामशरणदास, महंत मुनिशरणदास, महंत ज्ञानदास, महंत काशीदास, महंत परमेश्वरदास, महंत रामदास, महंत दिग्विजय दास, महंत रूपकिशोर, महंत शंकरदास, महंत अवधेशदास, महंत राजीव लोचनदास प्रमुख रूप से शामिल हुए।