महाकाल विस्तारीकरण: रिद्धि सिद्धि गणेश प्रतिमा को महाकाल मंदिर से किया विस्थापित

वर्षों पुरानी प्रतिमा को मंदिर की दीवार से काटकर निकाला, यज्ञशाला के पास दिया स्थान

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत कार्य अपने अंतिम चरण में है। महाकालेश्वर मंदिर के देवास गेट धर्मशाला स्थित वर्षों पुराने रिद्धि सिद्धि गणेश मंदिर की प्रतिमा को उखाड़ कर अन्य जगह स्थापित कर दिया गया है। हालांकि पहली गलती से सबक लेते हुए इस बार शास्त्रोक्त विधि से प्रतिमा को अपने मूल स्थान से निकाला गया है।

महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिमा हटाने का यह दूसरा मामला है। शुक्रवार को निर्माण एजेंसी उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर के निर्गम गेट के पास स्थित देवास गेट धर्मशाला के नीम के पेड़ के नीचे स्थित रिद्धि सिद्धि गणेश मंदिर की प्रतिमा को हटाने का कार्य शुरू किया गया। लेकिन प्रतिमा अपनी जगह से टस से मस नहीं हो रही थी। लिहाजा अधिकारियों ने प्रतिमा के पीछे की दीवार को बाहर से काटकर निकाला और इसको यज्ञशाला के मुख्य द्वार के पास ओटला बनाकर स्थापित कर दिया।

सती माता मंदिर हटाने में हुआ था बवाल

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पालकी द्वार के पास स्थित सती माता के पुराने मंदिर को मंदिर प्रशासन द्वारा विस्तारीकरण कार्य के अंतर्गत जमींदोज कर दिया गया था और इसकी प्रतिमा को यज्ञशाला के पास स्थापित कर दिया गया था। लेकिन जिस तरह से मंदिर को जमींदोज कर दिया गया उस पर विश्व हिंदू परिषद ने संज्ञान लिया था। मंदिर प्रशासन पर आरोप था कि उसने विधिवत तरीके से प्रतिमा को नहीं हटाया है।

वही मंदिर के पुजारी ने भी इस पर आपत्ति ली थी। इस दौरान काफी बवाल हुआ और मंदिर प्रशासन ने भी अपना पक्ष रखा। बाद में पुजारी ने भी मंदिर प्रशासन के पक्ष में अपना वक्तव्य देते हुए प्रतिमा की स्थापना विधि पूर्ण तरीके से करने की बात कही थी। यह दूसरा मामला है जब प्रतिमा को अपनी जगह से विस्थापित किया गया हो।

इनका कहना है

महाकालेश्वर मंदिर विस्तारीकरण के अंतर्गत प्रतिमा का हटाया गया है। मंदिर प्रशासन ने मंदिर बनाकर देने का वादा किया है।

-पं. लोकेद्र व्यास, पुरोहित महाकालेश्वर मंदिर

महामंडलेश्वर महेशानंद गिरी को दर्शन करने से रोका

निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी महेशानंद गिरी महाराज उत्तराखंड से महाकाल दर्शन करने के लिए आए थे। लेकिन उनको नंदीहाल में प्रवेश करने से सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोक दिया गया था। उन्होंने मंदिर प्रशासन पर नाराजगी जताई। महेशानंद गिरी महाराज 26 अप्रैल तक बडऩगर रोड स्थित निरंजनी अखाड़े में रहकर असाध्य रोगों का इलाज करेंगे।

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महामंडलेश्वर स्वामी महेशानंद गिरी

इधर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल का कहना है कि उनकी जानकारी में नहीं है कि किस तरह का कृत्य हुआ है। मंदिर में सभी साधु संतों को सम्मान पूर्वक दर्शन कराए जाते है।ं यदि किसी कर्मचारी ने इस प्रकार का कोई कृत्य किया है तो पूछताछ की जाएगी। जानकारी में आया है कि सुबह 7.30 बजे की आरती चल रही थी। इस दौरान महाराजश्री ने प्रवेश करना चाहा था।

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