शिवमय हुयी मेरी उज्जैनयिनी को आज कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। उज्जैन के नागरिकों ने पहली बार सावन मास में भोलेनाथ बाबा के भक्तों का इतना हुजुम देखा है। शासन-प्रशासन के सारे अनुमान भीड़ को लेकर ध्वस्त हुए, जितना सोचा था उससे दुगनी भीड़। शनिवार, रविवार को तो अमूनन महाकालेश्वर में भीड़ रहनी ही है। हमारे पड़ोसी शहर इंदौर के नागरिक इन दो दिनों में भारी संख्या में आने लगे हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों एवं मंदिर की सेवा में लगे लोगों के लिये यह सावन विशेष चुनौती भरा था क्योंकि ‘दुबला और दो आषाढ़’ की कहावत चरितार्थ हो गयी। एक ओर मंदिर परिसर के विस्तारीकरण का कार्य चालू रहने के कारण मंदिर प्रवेश मार्ग के सारे विकल्प बंद है सिर्फ बड़े गणेश मंदिर के सामने वाला प्रवेश मार्ग का ही उपयोग हो सकता था।
दूसरी ओर बीते 2 वर्षों के दौरान कोरोना के कारण ‘बाबा’ के भक्त श्रावण में उनके दर्शनों को तरस गये थे इस कारण भी जनमैदिनी का उमडऩा स्वाभाविक था। मृत्युलोक के राजा की सेवा में बीते 4 दिनों से लगे अधिकारियों, कर्मचारियों अथक परिश्रम के कारण यह चार दिवसीय महोत्सव बिना किसी विघ्न्न बाधा के संपन्न हो सका।
परमपिता परमेश्वर के हम उज्जैन के सभी निवासी शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने सोमवार की शाम चारधाम मंदिर और हरसिद्धि चौराहे के बीच लगे बेरिकेडस कुछ श्रद्धालुओं के ऊपर गिर जाने के कारण एवं अन्य श्रद्धालुओं द्वारा बेरिकेडस के नीचे दबे श्रद्धालुओं के ऊपर चढक़र निकलने की घटना पर तुरंत संज्ञान लेते हुए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों एवं अन्य विभाग के कर्मचारियों ने तुरंत स्थिति पर नियंत्रण पा लिया और अनहोनी को टाल दिया अन्यथा यदि भगदड़ की स्थिति बन जाती तो लाशों के ढेर लग सकते थे और उज्जैयिनी के भाल पर कलंक का टीका लग जाता।
प्रशासन इसलिये भी साधुवाद का पात्र है कि उसने पिछली गलतियों को ध्यान में रखकर और मीडिया द्वारा दिये गये सुझावों पर अमल कर बेहतर व्यवस्थाएँ बनाने का प्रयास किया और उसमें सफलता भी अर्जित की। मुख्य रूप से भीड़ नियंत्रण में तीन तरह की परेशानियां आ रही है। पहली पार्किंग व्यवस्था, दूसरी धर्मालुओं के जूते-चप्पलों को लेकर, तीसरी प्रवेश मार्ग को लेकर।
पार्किंग की व्यवस्था के लिये इंदौर रोड से आने वाले वाहनों के लिये मन्नत गार्डन के साथ हरिफाटक पुल के नीचे की जगह का प्रशासन उपयोग कर रहा है यदि इसके साथ ही जिला पंचायत द्वारा हरिफाटक पुल के नीचे निर्मित हाट-बाजार की जगह का उपयोग बहुत अच्छा हो रहा है। भविष्य को देखते हुए यदि हरिफाटक पुल के नीचे बंद हो चुके रेलवे क्रासिंग की जगह भूमिगत रास्ता बना दिया जाए तो महाकाल के लिये यातायात बहुत सुगम हो सकता है। इंदौर, महाराष्ट्र से आने वाले भक्तजन गुरुवारिया हाट, मन्नत गार्डन, हाट बाजार में अपने वाहन पार्क कर पैदल ही भूमिगत रास्ते से गुजरकर त्रिवेणी संग्रहालय में प्रवेश कर सकते हैं।
जूते-चप्पलों की समस्या एक अबूझ पहेली बन गयी है। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अपने जूते-चप्पल छोडक़र ही जाना पड़ा जहाँ व्यवस्था की गयी थी वहाँ न उतारकर लोगों ने दूसरे स्थानों पर अपने जूते-चप्पल उतार दिये जहाँ हजारों की संख्या में रखे हुए जूते-चप्पल वापस आकर ढूँढ पाना किसी भी सूरत मेें संभव नहीं है इस समस्या पर प्रशासन को मंथन करना होगा।
तीसरी समस्या प्रवेश मार्ग को लेकर है इससे निपटने के लिये यह किया जा सकता है कि अभी जो नर्वनिर्मित बेगमबाग वाला मार्ग अति विशिष्ठ (वीआईपी) व्यक्तियों के लिये सुरक्षित रखा गया है उसमें से आधा यदि आम श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जाए तो भीड़ नियंत्रण में काफी मदद मिल सकती है। खैर समस्याएँ कभी खत्म नहीं होती है सदैव बेहतर की संभावनाएँ बनी रहती है। उज्जैनवासी बधाई देने के साथ भोलेनाथ की सेवा में लगे अधिकारियों, कर्मचारियों के आभारी हैं जिन्होंने चुनौतियों का एक पड़ाव सफलतापूर्वक बिना किसी दुर्घटना के पूर्ण कर लिया है, उम्मीद है आगे भी वह सफल होंगे।
जय महाकाल
– अर्जुन सिंह चंदेल
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