महापौर परिषद के सदस्यों ने की तीन विभागों की समीक्षा
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम महापौर मुकेश टटवाल और महापौर परिषद के 5 सदस्य अब तक नगर निगम का कामकाज समझ रहे थे। सभी अब एक्शन मोड में आ गए है। मंगलवार को महापौर परिषद के सदस्यों ने तीन अलग-अलग विभागों के कामकाज की समीक्षा की।
तीनों ही विभागों के कामकाज की समीक्षा के दौरान एक जैसी परिस्थितियां सामने आई है। तीनों ही विभागों में तीन बड़े कामों के टेंडर की शर्ते उलझनभरी मिली। तीनों ही विभागों के प्रभारियों ने अधिकारियों से कहा- हमें कागजों में मत उलझाओ, शर्ते हिंदी में लेकर आओ।
कॉलोनी में पानी की किल्लत, पीएचई से जारी हो गई एनओसी
जलकार्य विभाग के प्रभारी एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी ने भी मंगलवार को पीएचई अमले के साथ कामकाज की समीक्षा की। इस बैठक में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। शहर की कई कॉलोनियों के ऐसे उदाहरण इस बैठक में सामने आ गए, जहां कॉलोनियों में पीने के पानी की किल्लत बनी हुई है, पानी की सप्लाय लाईन तक नहीं डल सकी है और पीएचई से इन कॉलोनियों के निर्माणकर्ताओं को एनओसी जारी हो गई है।
शिवेंद्र तिवारी ने ऐसी तमाम कॉलोनियों की सूची तलब की है। पीएचई अधिकारियों से कहा गया कि शहर में जिन इलाकों में नलों के जरिए पानी नहीं पहुंच पा रहा है, वहां के पार्षदों से बात करे और उपभोक्ताओं तक पाईप लाईन के जरिए पानी पहुंचाने की व्यवस्था करे। शिवेंद्र तिवारी ने कहा कि शहर में कतिपय लोग चोरी-छिपे धड़ल्ले से अवैध नल कनेक्शन कर रहे है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए।
ठेकेदार का काम, संसाधन लग रहे नगर निगम के
मंगलवार को एमआईसी सदस्य रजत मेहता ने प्रकाश विभाग की समीक्षा बैठक ली। इस बैठक में एक बेहद ही चौकाने वाला तथ्य सामने आया है। 2 साल पहले स्मार्ट सिटी कंपनी के माध्यम से शहर में लगभग 24 हजार एलईडी स्ट्रीट लाईट लगाई गई थी। इस काम पर तकरीबन 12 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। तत्कालीन पार्षदों और नगरनिगम बोर्ड को निगम अधिकारियों द्वारा बताया गया था कि अगले 7 साल तक ठेकेदार फर्म द्वारा ही स्ट्रीट लाईट का संचालन-संधारण किया जाएगा।
इसके ठीक उलट शहर में जहां कहीं भी स्ट्रीट लाईट खराब हो रही है, उसे बदलने के लिए नगर निगम के ही कर्मचारी दौड़ रहे है। इस काम में नगर निगम की ही गाडिय़ों का उपयोग किया जा रहा है। रजत मेहता ने कार्यपालन यंत्री पी.सी. यादव, प्रकाश विभाग प्रभारी जितेंद्र पाल जादौन और उपयंत्री आनंद भंडारी से 2 साल पहले हुए टेंडर की शर्ते मांगी है।
शहर में कितनी सिटी बस, अधिकारी ही अनजान
जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के तहत उज्जैन नगर निगम को अब तक कितनी बसें मिली, इनमें से कितनी चालू हालत में है, कितनी बसें फिलहाल सडक़ पर दौड़ रही है और इनके रूट क्या हैज्इन सवालों का जवाब नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों के पास ही नहीं है। मंगलवार को महापौर परिषद सदस्य दुर्गा शक्तिसिंह चौधरी ने सिटी बस प्रोजेक्ट की समीक्षा की तो जिम्मेदार एक-दूसरे का मुंह ताकते नजर आए।
एक-दूसरे से जानकारी लेने के बाद बताया गया कि शहर में फिलहाल 10 सिटी बस चालू हालत में दौड़ रही है। 40 नई बसों को खरीदने के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और 39 सीएनजी बसों को नीलाम किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। एमआईसी सदस्य ने शहर के पार्किंग स्थलों की जानकारी मांगी तो अधिकारी फिर से बगले झांकने लगे। उन्हें कहा गया कि अगली बैठक में पार्किंग स्थलों की पूरी जानकारी साथ लेकर आए।