कचरे और सफाई व्यवस्था के बीच कमाई कैसे की जाती है, यह नगर निगम के दरोगा से सीखा जा सकता है। नगर निगम द्वारा शहर में कचरा कलेक्शन के लिये कचरा वाहन चलाया जा रहा है। कचरा वाहन नियमित रूप से प्रत्येक वार्ड में घूमकर घर-घर से कचरा एकत्रित करता है।
कचरा वाहन पर तैनात निजी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा इन वाहनों में प्लास्टिक कचरा अलग जगह रखा जाता है ताकि उसे कबाड़े में बेचकर अतिरिक्त कमाई की जा सके। कबाड़े मेें बेचे गए सामान से मिली राशि का अगर हिसाब जोड़ा जाए तो बड़ी रकम सामने आएगी। जो कि बाद में कर्मचारी आपस में बांट लेते हैं। क्षेत्र के दरोगा व अन्य के पास भी इसका हिस्सा पहुंचता है। जो कि एक मोटी कमाई है।
वार्ड में तैनात सफाईकर्मी इनकी कमाई का महत्वपूर्ण साधन हैं। सफाईकर्मियों के जरिए इन्हें एडजस्टमेंट के बदले कमाई होती है। सफाई कर्मचारियों की गैरहाजिरी को उपस्थिति में तब्दील करने का जो जादू इनके द्वारा हाजिरी रजिस्टर में दिखाया जाता है उसके बदले सफाई कर्मचारियों को वेतन मिलने पर इनकी भेंट पूजा करना होती है। नगर निगम अधिकारियों का अभी शायद इस सौहार्दपूर्ण लेन-देन पर ध्यान नहीं है।