लोहे के भाव में ऐतिहासिक उछाल से गृह निर्माण का कार्य ठप
बदनावर (अल्ताफ मंसूरी)। अपनी फौलादी शक्ति के लिए मशहूर धातु खेत के औजार से लेकर कारखाने तक , सुई से लेकर हवाई जहाज तक, मकान की नींव से लेकर शिखर तक हर जगह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाला लोहा इन दिनों अपने उपभोक्ताओं को बड़े भाव के कारण लोहे के चने चबवा रहा है।
तेजी में इतनी तेजी जी हां हर निर्माण में अपना लोहा मनवाने वाले लोहा के भाव बाजार के इतिहास में इतना ’यादा तेज कभी नहीं हुआ। लोहे सरिया मैं पिछले 6महा में ?1500से 2000प्रति कुंटल की औसत रिकॉर्ड तेजी आई है पिछले 6 माह से लोहे के भाव लगातार बढ़ते रहे हैं कुछ लोग आइटम के भाव तो डेढ़ गुना से भी अधिक ऊपर हो गए हैं। 6 माह पूर्व सरिया जहां &500 क्विंटल था आज 5600क्विंटल, एंगल-4100से 5000 प्रति क्विंटल, काला तार 4200 रुपए से 5000 प्रति क्विंटल , बोल्ड 6500 प्रति क्विंटल से रुपए 7400 प्रति क्विंटल, नट रुपए 7000 प्रति क्विंटल से 8000प्रति क्विंटल, काली चद्दर ?5000से 7000? प्रति क्विंटल के लगभग भाव में अंतर आया है।
साथ ही गेलवेनाइज सीट में 15 से ?&0 प्रति किलो की तेजी आई है। काश्तकारी सामान व उपकरणों में भी तेजी के कारण मूल्य से 20त्न तक बढ़ गए।बड़े भावो व मौजूदा हालात के कारण लोहा बाजार में ग्राहकी कमजोर है फिर भी तेजी जारी है। गत सप्ताह के दौरान सरिए में ?150 प्रति क्विंटल की तेजी रही एंगल व पत्ती में भी क्रमश: 200 से ?160 प्रति क्विंटल के लगभग की तेजी रही। क्वाइल पाइप में भी 15 से रुपए 20 किलो की तेजी हो गई है।
सिर्फ सरिया एंगल ही नहीं लोहा अयस्क से जुड़े हर तरह के क‘चे वह पक्के माल में तेजी आ चुकी है।इस तेजी का मुख्य कारण एंगल व क‘चे माल की कमी व क‘चे माल की बढ़ी हुई कीमत को माना जा रहा है लोहा भंगार जो 2 माह पूर्व 2100 से रुपए 2200 प्रति क्विंटल बिक रहा था आज 2800 से 2900 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है ।क‘चे माल के बड़े भाव के कारण लोहार द्वारा बनाई जाने वाली वस्तु की कीमतों में भी गत वर्ष की तुलना में रुपए 20 प्रति किलो तक की तेजी आई है।
जिस तरह से लोहे के भाव बढ़ रहे हैं कोई कहने की स्थिति में नहीं है कि आखिर लोहा कब अपने भावों का लोहा मनवा कर दम लेगा। तेजी जारी है घर नवनिर्माण वाले लोग लोहे के भाव कम होने की आस लगाए काम रोके हुए हैं और बढ़ते भावों से परेशान व हैरान है।
क्या है तेजी के कारण
इस तेजी इसका मुख्य कारण कच्चे माल व भंगार की अनुपलब्धता है। कोरोना महामारी के कारण क‘चे माल में आयात में दिक्कत हो रही है। विदेशों से बहुत कम मात्रा में स्क्रैप आ रहा है। चीन विरोधी नीति के कारण चीन से भी लोहा आइटम का व्यापार प्रभावित हुआ है। साथ ही डीजल पेट्रोल के भाव बढऩे से परिवहन की लागत में इजाफा हुआ है। बढ़ी हुई कीमतों के लिए वर्तमान विश्व स्तर की परिस्थितियां भी जिम्मेदार है।
आगे क्या..?
इंदौर लोहा व्यापारियों से चर्चा के अनुसार लोहे के भाव अपने चरम पर पहुंच गए हैं। बाजार में मांग की कमी है, इससे नहीं लगता कि भाव और बढ़ेगे । लॉक डाउन में ऐसे हीं जनता की कमर टूट चुकी है इसलिए बढ़े हुए भाव में लोग निर्माण कार्य रोक देगे । बड़े बिल्डरों को भी काफी आर्थिक हानि होगी ।इन बड़े हुए भाव के कारण बाजार में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सरकार को भाव नियंत्रित करने के लिए प्रयास करना चाहिए हालांकि सरकार के हाथ में ’यादा कुछ नहीं है। फिर भी विदेशों से क‘चा माल आयात करने की आसान नीति बनाकर सहयोग कर सकती है।