आवास मंत्री आवंटित करते हैं बैरक, मनोरंजन मंत्री खिलवाते हैं जुआं
अर्जुन सिंह चंदेल
जिस प्रकार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अपने कार्यों में मदद के लिये अलग-अलग विभागों के मंत्री बनाते हैं ठीक उसी तरह जेल की दीवारों के अंदर भी अलग-अलग कार्यों के लिये सजायाफ्ता कैदियों को जेल अधीक्षक द्वारा अवैध ठेका दे दिया जाता है।
आवास मंत्री द्वारा ले देकर बैरक आवंटित करने के उपरांत यदि किसी कैदी को बिस्तर चाहिये तो उससे 2 से 5 हजार रुपये अतिरिक्त देने होते हैं। मोटे व मालदार आसामी रुपया फेंककर आरामदायक ढंग से अपनी रात गुजारते हैं जो पैसा नहीं देते उन्हें ओटलों पर बिना बिस्तर के ही सोना होता है। ठहरने की माकूल व्यवस्था उपरांत जिन कैदियों को मनोरंजन करना होता है जुआ या ताशपत्ती खेलना होती है उसे अब मनोरंजन मंत्री से संपर्क करना होता है।
प्रार्थना भवन से ही मनोरंजन मंत्री की नियुक्ति होती है जो ताशपत्ती में फ्लश, माँग पत्ती या रमी खिलाने की व्यवस्था करता है उसे जेल अधिकारी को दलाल के माध्यम से प्रतिदिन 15 से 20 हजार देना होते हैं। रुपयों का भुगतान करने के बाद मनोरंजन मंत्री (सजायाफ्ता कैदी) कैदियों को जुआ खिलाने के एवज में रुपये वसूलता है।
वह कैदियों को 1 ताश की गड्डी 500 रुपयों में उपलब्ध कराता है जिससे माँग पत्ती खेली जाती है। यदि जेल के अंदर आपको तीन पत्ती का खेल फ्लश खेलना हो तो ठेकेदार को 1 घंटे का 5000 पाँच हजार रुपए भुगतान करना होगा यदि आप जेल के अंदर रमी खेलना चाहते हैं तो उसके लिये भी आपको ठेकेदार को भुगतान करना होगा।
जेल अधिकारी ठेकेदार से प्रतिदिन के 15 से 20 हजार लेने के बाद आँख बंद कर लेते हैं। वह यह भी नहीं देखते कि ठेकेदार कैदियों से कितना कमा रहा है? जेल के ईमानदार अधिकारियों में इतना तो जमीर है कि वह ‘दूसरे की थाली में घी नहीं देखते’ एक बार सौदा हो गया सो हो गया फिर ठेकेदार आजाद है। चलिये आगे चलते हैं कैदी के रहने की अच्छी व्यवस्था हो गयी मनोरंजन के लिये जेल के अंदर जुआ खेलने की सुविधा मिल गयी।
शेष कल….