अर्जुन सिंह चंदेल
ऐसा नहीं है कि भैरवगढ़ जेल में कैदियों को दुव्र्यसन ही उपलब्ध कराया जाता है, कैदियों के स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। खान-पान मंत्री जिसे जेल अधिकारी द्वारा ठेका दिया जाता है। वह कैदियों को चाय-दूध उपलब्ध कराने का बंदोबस्त करता है।
जेल के अंदर यदि आपको दोनों या एक समय दूध पीना है तो आधा लीटर दूध की थैली जो बाहर शायद 30 रुपयों में मिल जाती है उसके लिये जेल के अंदर 100 (सौ) रुपये का भुगतान करना होता है एक थैली पर 70 रुपये की कमाई। जेल के अंदर रोजाना 200 दूध की थैलियों की बंदी है अर्थात 200&700= 14000/- रुपये रोज की अवैध कमाई।
यदि आप दोनों समय चाय पीना चाहते हैं तो खान-पान मंत्री (ठेकेदार) को 1500 रुपयों का भुगतान कर दीजिये आपको पूरे माह दोनों समय चाय उपलब्ध करा दी जायेगी। चाय दूध के अलावा हर तरह का किराने का सामान भी जेल के अंदर उपलब्ध करा दिया जाता है। बाहर के दामों से तिगुने भाव में।
यह तो हुई कैदियों को उपलब्ध कराये जाने वाली सामग्री से अवैध वसूली की बात इसके अलावा यदि किसी कैदी को निर्धारित तारीख के लिये जैसे त्यौहार या शादी समारोह के लिये पैरोल चाहिये तो उसके लिये 2000 से 2500 रुपये साहब को देना होता है, नहीं दिये तो साहब शादी या त्यौहार के बाद की दिनांक का पैरोल दे देंगे, जो कैदी के लिये औचित्यहीन होकर रह जायेगा।
ऐसा भी नहीं है कि साहब बहादुर सिर्फ कैदियों से ही वसूली करते हैं ड्यूटी करने वाले जेल प्रहरियों की मनचाहे जगह पर पदस्थी के लिये साहब को गाँधी छाप देकर खुश करना होता है। जो प्रहरी साहब को खुश कर देता है वह मलाईदार जगह पर तैनात हो जाता है। नहीं देने वाले अंदर से बाहर, बाहर से अंदर होते रहते हैं।
शेष कल