धोखाधड़ी के आरोपी को सात साल की सजा

उज्जैन, अग्निपथ। जमीन के फर्जी दस्तावेज दिखाकर 20 लाख की धोखाधड़ी करने वाले को न्यायालय ने सात साल की सजा सुनाई है। आरोपी के साथी को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया है।

उपंसचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने बताया कि फरियादी जितेन्द्र मंडोरा ने माधवनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका सिद्धी विनायक टॉवर शहीद पार्क में ऑफिस है। जहां विकास जैन और विरेन्द्रसिंह भारद्वाज ने आकर ग्राम खरसौदकलां स्थित भूमि का सौदा किया था। उन्होंने उक्त भूमि की भू-अधिकार ऋण पुस्तिका और खसरा बी-1 के साथ मूल रजिस्ट्री दिखाई थी।

दस्तावेज देखने के बाद भूमि का सौदा 20 लाख 50 हजार रूपये में किया गया। उसने 20 लाख का चेक देकर भुगतान भी कर दिया। जब वह रजिस्ट्री के लिये पंजीयन कार्यालय पहुंचा तो पता चला कि विकास और विरेन्द्र 2018 में उक्त भूमि बेच चुके है। जो दस्तावेज दिये गये हैं, वह कूटरचित है।

पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया था। जहां सुनवाई पूरी होने के बाद सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश शशिकांत वर्मा ने फैसला सुनाते हुए विकास पिता राजेश जैन को धोखाधड़ी करने और कूटरचित दस्तावेज बनवाने के मामले में सात साल की सजा से दंडित किया।

मामले में आरोपी बनाए गये विरेन्द्रसिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया है। प्रकरण में पैरवी संजयराव शिंदे विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई।

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