– अर्जुनसिंह चंदेल
उज्जैन नगर निगम महापौर चुनाव से हीरो बने विधायक महेश परमार अपने ही विधानसभा क्षेत्र तराना में इस बार के चुनाव में में जीरो नजर आ रहे हैं। चुनाव के शुरुआती दिनों में नागदा-खाचरौद के बाद तराना सीट को दूसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी के पक्ष में माना जा रहा था परंतु जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, वैसे वैसे लगभग 210 ग्रामों वाली तराना विधानसभा सीट का परिदृश्य भी बदलता नजर आ रहा है।
यदि बात 2018 के चुनाव की करें तो महेश परमार को अनिल फिरोजिया के विरोधियों का भी साथ मिला था। जिसमें भाजपा के वर्तमान प्रत्याशी भी शामिल हैं। जो कि घर से निकले ही नहीं थे, साथ ही भारतीय जनता पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं ने भी अनिल फिरोजिया को हराने के लिए महेश परमार का साथ दिया था। पर इस बार हवाव बदली बदली सी नजर आ रही है। बलाई समाज के लगभग 38 हजार मतदाता भी दो धड़ों में बंटे हुए हैं, जिसमें आधे मालवीय बलाई समाज के हैं जिसमें महेश परमार आते हैं, आधे गुजराती बलाई समाज के हैं, इसमें गुजराती बलाई समाज नाराज है।
महेश परमार से इसके अलावा राजपूत, ब्राह्मण, बनिया, पाटीदार, आंजना समाज के बहुतायत वोट भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी ताराचंद गोयल एक साधारण इंसान की तरह मिलनसार, मृदुभषी, व्यवहार कुशल हैं। बीते 15 वर्षों में पूरे विधानसभा क्षेत्र में किसी भी मतदाता के दु:ख-सुख में पहुँचने का कोई अवसर वह नहीं चूकते हैं जो उन्हें मतदाताओं में लोकप्रिय बनाता है।
वहीं दूसरी ओर महेश परमार अति महत्वाकांक्षी होकर वरिष्ठ कांग्रेसियों की भी उपेक्षा कर रहे हैं। जिसका खामियाजा उन्हें चुनाव में उठाना पड़ेगा। कुल मिलाकर तराना विधानसभा का चुनाव अब दिलचस्प बन चला है, हो सकता है खरगोश और कछुए की रेस वाली पंचतंत्र की कहानी जैसा परिणाम भी देखने को मिल सकता है।