सहस्त्र चंडी नवकुंडीय यज्ञ के लिए अरणी मंथन से अग्नि प्रज्जवलित
उज्जैन, अग्निपथ। पुत्र का धर्म है कि वह अपने माता-पिता को दो रोटी दे, सुख दे वृध्दाश्रम में नहीं भेजे। हमने देखा है तीर्थों में माता-पिता को ले जाकर छोड़ दिये। ऐसी संतान होने से तो अच्छा है संतान का नहीं होना। अपना पेट पालते हो तो क्या फायदा अपना पेट तो पशु भी पाल लेता है, मनुष्य में यही विशेषता है कि स्वयं भी जीता है अपने आसपास वालों को भी जीवन देता है। मंदिर में गुरूद्वारे में नहीं घर में ही बैठे है भगवान, अपने माता को, पिता को प्रणाम कर उनकी सेवा करें। माता पिता के कल्याण का हर प्रयास हर संतान को करना चाहिये।
यह बात श्री राम जानकी मंदिर खाकी अखाड़ा मंगलनाथ रोड़ खाक चौक पर आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में आचार्य डॉ. रामानंद दास महाराज ने कही। वहीं सहस्त्र चंडी नवकुंडीय यज्ञ में ज्योतिषाचार्य पंडित चंदन श्याम नारायण व्यास के आचार्यत्व में आहूतियां डाली गई। महंत अर्जुनदास महाराज द्वारा अरणी मंथन कर अग्नि प्रज्जवलित की तथा यज्ञ प्रारंभ हुआ।
खाकी अखाड़े के श्रीमहंत अर्जुन दास महाराज ने बताया कि ‘श्री गुरू पंचामृत द्वादश पुष्प अमृत महोत्सव में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ, श्रीरामार्चन महायज्ञ (पूजन), श्री सहस्त्रचंडी नवकुंडीय महायज्ञ, श्री नवकुंडात्मक नवदिवसीय श्री सहस्त्रचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
श्री महंत अर्जुनदास खाकी गुरू श्री रामदुलारेदासजी महाराज, अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदीय खाकी अखाड़ा, उज्जैन बैठक, श्रीराम जानकी मंदिर खाकी अखाड़ा मंगलनाथ रोड़ खाक चौक उज्जैन, श्री लंबे हनुमान मंदिर गिरनार तलेटी जूनागढ़ गुजराती द्वारा आयोजित इस महोत्सव में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में तृतीय दिवस महाराजश्री ने कपिल-देवहूति संवाद, शिव, ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। आपने कहा कि जिस किसी भी प्रकार से भगवान ईश्वर के चरणों में प्रेम हो जीव के लिए सबसे बड़ा धर्म है, उस धर्म का आचरण करना ही सबसे बड़ी भक्ति है। उसी भक्ति से हम बड़ी सहजता से भव सागर से पार हो सकते हैं।
मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म आचरण में लाया जाने वाले कर्म वही है जिससे भगवान की भक्ति हो, परमात्मा का स्मरण हो, ईश्वर का चिंतन हो जिस प्रकार से ईश्वर का चिंतन हो। भक्ति के मार्ग पर गिरने कटने का डर नहीं है, क्योंकि भगवान ही उसे संभालेंगे। 13 जनवरी को भगवान राम चंद्र जी को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग भी लगाया जावेगा, साथ ही राम अर्चन भी की जावेगी।