पिछले दिनों चार जगहों का भोपाल से आये अधिकारियों ने किया था दौरा
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में मेडिकल कॉलेज की जमीन सिलेक्शन को लेकर अभी भी एकराय नहीं बन पाई है। बहुप्रतिक्षित इस मेडिकल कॉलेज की उज्जैन को बहुत जरूरत है। शहर में मेडिकल कॉलेज बन जाता है तो इंदौर रैफर होने वाले मरीजों की सं या काफी कम हो जायेगी। फिलहाल हार्ट, किडनी और शरीर के अन्य आवश्यक अंगों के उपचार के लिये शहर के लोगों को इंदौर पर निर्भर रहना पड़ रहा है। चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज शहर में एकमात्र मेडिकल कॉलेज है।
मेडिकल कॉलेज खोलने की स्वीकृति तो मिल गई है, लेकिन इसके लिये जमीन तलाशने का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। पूर्व में इंजीनियरिंग कॉलेज के पास की जमीन का चयन मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर किया गया था। लेकिन शहर से दूर होने और कॉलेज प्रबंधन द्वारा आपत्ति जताने के बाद इसको ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। भोपाल से आये सीएएस मोह मद सुलेमान और स्वास्थ्य सचिव सुदाम खाड़े ने इसके बाद कैंसर यूनिट के पीछे खाली पड़ी जमीन को देखा था।
इतना ही नहीं सामाजिक न्याय परिसर की जमीन का भी इनके द्वारा अवलोकन किया गया था। पूरी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी गई थी। फिर भोपाल से इसके बाद एक और अधिकारियों की टीम ने आकर विक्रम विश्वविद्यालय की खाली पड़ी जमीन का मुआयना किया था।
इस दौरान यह बात प्रचारित प्रसारित हो गई थी कि यहीं पर मेडिकल कॉलेज खोला जायेगा। इस पर अंतिम मोहर लगा दी गई है। लेकिन इसके बाद भी इसी टीम ने जिला अस्पताल आकर यहां की खाली पड़ी जमीन का भी मौका मुआयना किया था। इनके साथ सिविल इंजीनियरों की एक टीम भी साथ में आई हुई थी।
क्रिटिकल केयर यूनिट का काम रुकवाया
जिला अस्पताल के पीछे 100 बेड का सुपर स्पेशलिटी हास्पीटल का निर्माण हो रहा है। इसके पास ही स्थित पुराने आरएमओ कार्यालय के पीछे की काफी जमीन खाली पड़ी हुई है। यहां पर 50 बेड के क्रिटिकल केयर यूनिट का काम प्रारंभिक दौर में शुरू हुआ था। लेकिन भोपाल से आई टीम ने यहां का भी निरीक्षण किया था। बाद में इसका काम रुकवा दिया गया। लेकिन चार जगहों में से एक पर मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा सकता है। फिलहाल यह राज्य शासन के पास विचाराधीन है कि कहां पर मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जायेगा।
जहां जिला चिकित्सालय, उसके पास ही मेडिकल कॉलेज खोलना बेहतर
जानकारों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज वहीं पर खोला जाता है, जहां जिला चिकित्सालय पास में हो। मेडिकल कॉलेज में पढऩे वाले एमबीबीएस के स्टूडेंट्स जिला अस्पताल में ही प्रेक्टिस करते हैं। ऐसे में मेडिकल कॉलेज के दूर होने पर उनका समय व्यर्थ खराब न हो इसके लिये जिला अस्पताल के पास ही मेडिकल कॉलेज खोलने की परंपरा है। वैसे तो शहर के जिला अ्रस्पताल से 6 किमी के दायरे में मेडिकल कॉलेज खोला जा सकता है।