जिंदगीभर महाकाल की सेवा करने वाली सरोज लक्ष्मी अपनी पूरी कमाई बाबा के चरणों में अर्पित करेंगी

उज्जैन, (पं. प्रबोध पाण्डेय)। वर्षों से महाकाल मंदिर में सेवा देने वाली बेबी बाई उर्फ सरोजलक्ष्मी अब जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर अपनी पूरी संपत्ति भगवान महाकाल के नाम करने जा रही हैं। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी महाकाल की सेवा में बिता दी। तबीयत खराब होने पर मंदिर प्रबंध समिति ने भी उन्हें अपने परिवार का मानते हुए महाकाल धर्मशाला के एक कमरे में आश्रम दिया। पूर्व प्रशासक सोजानसिंह रावत और सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल की उदारता के चलते यहां पर उनके खाने-पीने से लेकर सेवा तक के लिए कर्मचारी लगाया गया है।

बेबी बाई के नाम से मंदिर में पहचाने जाने वाली वृद्धा किसी परिचय की मोहताज नहीं है। जवानी से लेकर बुढ़ापे तक जबतक उनके हाथ पैर चले उन्होंने मंदिर में झाड़ू लगाने से लेकर अन्य सेवा कार्यों को बिना किसी के बताए किया। हाल ही में कुछ दिनों पहले उनको हार्ट अटैक आया था। जिसके चलते अब वह भगवान महाकाल की सेवा तो नहीं कर पा रही, लेकिन उनके द्वारा अब जीवन के अंतिम क्षण में अपनी पूरी कमाई भगवान महाकाल के नाम करने की तैयारी की जा रही है।

सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि मंदिर से जुड़े महेंद्र कटियार, शांतिलाल बैरागी, प्रभात साहू, गोपाल, हरीश पाटीदार और रितेश पांचाल द्वारा सूचना मिली कि बेबी बाई द्वारा अपनी पूरी संपत्ति भगवान महाकाल के नाम दान करने की इच्छा जता रही है। उनके नाम बैंक में एक लाख 60 हजार की फिक्स डिपॉजिट और करीब दो लाख रुपए बैंक अकाउंट में है। जिसकी जांच पड़ताल कर भगवान महाकाल को संपत्ति सौंपी जाएगी। उनके जिंदा रहने तक यह संपत्ति उनके ही नाम रहेगी और मरणोपरांत यह भगवान महाकाल के नाम हो जाएगी।

महाकाल धर्मशाला में दिया आश्रय

कुछ महीने पहले बेबी बाई को हार्ट अटैक आया था। उनको जिला चिकित्सालय में भर्ती कर इलाज करवाया गया था। पूर्व प्रशासक सोजानसिंह रावत, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल और मंदिर के अन्य अधिकारी भी उनको देखने के लिए गए थे। उनका कोई अन्य आश्रय नहीं होने के कारण मंदिर के अधिकारियों ने महाकाल धर्मशाला का एक कमरा उनको दे दिया था। दोनों समय का भोजन और चाय-नाश्ता का इंतजाम भी मंदिर के अधिकारियों द्वारा ही करवाया जाता है। मंदिर की आऊटसोर्स महिला कर्मचारी को उनकी देखभाल के लिए नियुक्त किया गया है।

घरवालों ने नहीं की देखभाल

बेबी के घरवाले भी उज्जैन में ही रहते हैं। लेकिन प्रतिदिन बेबी को भोजन और अन्य देखभाल उनके द्वारा नहीं की जाती थी। केवल आर्थिक दोहन किया जाता था। जिसके चलते बेबी अपने घर नहीं जाकर भगवान महाकाल के चरणों में ही मंदिर में सोया करती थीं। उनके सेवाभावी जीवन को देखकर मंदिर प्रशासन ने उनको महाकाल धर्मशाला का कमरा रहने के लिए दे दिया था।

Next Post

निर्मम हत्या: बंद मकान में पड़ी थी निर्वस्त्र युवक की रक्तरंजित लाश

Mon Feb 15 , 2021
उज्जैन, अग्निपथ। नानाखेड़ा सी-21 मॉल के पीछे बंद मकान में सोमवार दोपहर एक युवक की खून से सनी निर्वस्त्र लाश मिलने के बाद सनसनी फैल गई। मृतक के शरीर पर चाकुओं के 12 से अधिक घाव लगे थे और कमरे में खून फैला हुआ था। रातभर से परिजन और दोस्त […]