मोटा भाई मटन मार्केट बना तबेला, पब्लिक है सब जानती है

पेटलावद। पेटलावद नगर परिषद जो कभी जिले की सर्वश्रेष्ठ नगर परिषद थी में छूट भैया नेताओ, मन मर्जी के मालिक मोटा भाई के साथ ही चाटुकार कर्मचारियों की फ़ौज जमा होने के चलते नगर परिषद का नाम जिले सहित प्रदेश में भी बदनाम होने लगा है। परिषद की कार्य प्रणाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि कुछ माह पूर्व एक महिला पार्षद खुलेआम आरोप लगा चुकी है तो एक पार्षद पति भी प्रमाण पत्र बनवाने गया था उसके साथ भी स्टाफ बदसलूकी से पेश आया था और मामला सुर्खियों में बना था।

बताते है मोटा भाई चुनाव में खर्च किये माल को ऐंठने में लगे है तो सत्ता धारी एक दो पार्षदों की छिछोरी राजनीति के चलते मध्यम और निम्न वर्गीय नगर में परेशान हो रहे है। नगर में खुले में बिकते मटन को लेकर हुई शिकायतों के बाद पूर्व परिषद ने सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 23 लाख रुपये खर्च कर नगर के वार्ड -13 में मटन मार्केट बनवाया था। इस मटन मार्केट में कुल 13 दुकानें है जो आज भी दुकानदारों का इंतजार कर रही है। दुकानें बताया जाता है कि आज दिन तक नगर परिषद द्वारा आवंटित नहीं की गई है जिसके कारण वार्ड में सड़क किनारे अपने — अपने घरों के बाहर मांस विक्रेता मांस विक्रय करने के लिए मजबुर है ।

कुछ दुकानदारों से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि यदि हमें दुकानें आवंटित होती है तो हम मटन मार्केट की दुकानों में कारोबार करने को तैयार है।

आम रास्ते के किनारे मांस की दुकानों के वजह से आमजन भी परेशान है। पूर्व परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद जब से मोटा भाई काबिज हुए तब से नगर के मटन व्यापारी अपनी दुकानें लगाने को आतुर है लेकिन परिषद के भृष्ट लाखो रुपये से बने इस मार्केट का जिनके लिए उपयोगी है उन्हें आवंटित है नही कर रही जिसके चलते उक्त मटन मार्केट अवैध धंधों के अड्डे के साथ कुछेक लोगों के मवेशियों का तबेला बना हुआ है।

आश्चर्य तो यह कि इसी मटन मार्केट में मोटा भाई ने कुछ समय पूर्व दुकानों के बाहर के कच्चे बरामदे में एक बार पुनः लगभग एक लाख रुपया बहा कर बरामदे में सीमेंट कॉन्क्रीट कर दिया बावजूद उसके अभी भी मटन मार्केट में ताले टंगे ही नजर आ रहे है और इसी मटन मार्केट में कुछ समय पहले दो टीन शेड लागत लगभग 2 लाख रुपए से मछली बाजार लगाने के लिए बनाए गए है फिर भी बाहर बरामदे में मवेशी पालकों के मवेशी बंद रहे है।

नगर पालिका सीएमओ जो हुकुम मेरे आका में मशगूल है। कर्मचारी चारनधोक करने में ओर शंकर जैसे महादेव मोटा के व्यक्तित्व,कृतित्व को मटियामेट करने में लगे है। मोटा भाई समय अब बचा कम है हथेली में दिल्ली और अंगूठे को कुतुबमीनार बताने वालों से बचों वरना नगर की जनता यही कहेगी यह पब्लिक है सब जानती है।

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