अर्जुन सिंह चंदेल
दिन के दो-ढाई बज गये होंगे कोचिन से रवाना होने में। दल के लीडर संकल्प ने खुद का परिचय देते हुए थोड़े से दिशा-निर्देश दिये और 10 अगस्त के बचे हुए समय का प्रोग्राम बताया। संकल्प ने बताया कि कोचिन से मुन्नार तक लगभग चार से साढ़े चार घंटे का समय लगेगा क्योंकि 20-25 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ही पहाड़ी रास्ता शुरू हो जायेगा। वातानुकूलित टेम्पो टे्रवल्स की छत के नीचे ड्रायवर और ग्रुप लीडर सहित हम 13 लोग थे, 6 तो हम दोस्त बाकी 5 लोग हमारे लिये अभी अजनबी ही थे क्योंकि परिचय मुन्नार जाकर ही होना था।
हमारी टेम्पो ट्रेवलर के सारथी केरल के ही थे वह मलयालम भाषा ही बोलते और समझते थे जो अपने राम के बस की बात नहीं थी। केरल की राजधानी कोचिन (तिरुअनंतपुरम) विशालकाय है। आबादी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। सुबह 3:30 बजे के जागे हुए थे तो टे्रवलर की ठंडी हवा में कब झपकी लग गयी पता ही नहीं चला। कोचिन के प्रसिद्ध सरवण रेस्टोरेन्ट के स्वादिष्ट भोजन ने भी नशे का काम किया। नींद खुली तब तक लगभग 60 किलोमीटर का सफर तय हो चुका था।
केरल में मानसून का प्रभाव भरपूर दिखायी दे रहा था, हरियाली अपने पूरे यौवन पर थी। मन को अच्छा लगने वाला मौसम और मदमस्त वातावरण था। शाम हो चली थी, पक्षी अपने घरों को लौट रहे थे, टे्रवलर के बायीं ओर चाय बगान दिखायी देना चालू हो गये थे जो मुन्नार के नजदीक पहुँचने का संकेत था। आज 10 अगस्त को हमें सिर्फ मुन्नार पहुँचकर रात्रि का भोजन करके विश्राम ही करना था। टूर के कार्यक्रम में हमें दो रात्रि मुन्नार में ही रूकना था इस कारण कोई जल्दबाजी नहीं थी। कोचिन से मुन्नार के रास्ते में मनमोहक झरने भी देखने को मिले। टेम्पो ट्रेवलर के कुशल सारथी ने पूरे मार्ग पर टे्रवलर को बहुत अच्छे ढंग से चलाया, पहाड़ी रास्तों पर हेयर पिन मोड बहुत ही खतरनाक होते हैं्र।
हमारी 6 दिवसीय केरल यात्रा का पहला पड़ाव मुन्नार आ चुका था। शहर प्रारंभ होते ही हमारे रूकने का स्थान होटल ‘हिल व्यू’ आ चुका था। दल के सारे साथी उतरकर होटल के स्वागत कक्ष में पहुँचे जहाँ होटल के समस्त कर्मचारियों ने गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया। समुद्र तल से लगभग 8842 फीट ऊँचाई पर स्थित मुन्नार केरल का सर्वाधिक ऊँचाई वाला हिल स्टेशन है। इस हिल स्टेशन का मौसम हमेशा ही खुशगवार रहता है। अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेन्टीग्रेड से ज्यादा नहीं रहता चाहे सर्दी हो या गर्मी। दक्षिण भारत के कश्मीर कहे जाने वाले मुन्नार की हिल व्यू होटल में हमें स्वागत के लिये पेय पदार्थ दिया गया।
दल के कप्तान संकल्प ने सभी को कमरे आवंटित कर दिये प्रत्येक कमरे में 3-3 लोग थे एक कमरे में हम दो उज्जैन के व एक भोपाल के, दूसरे कमरे में तीनों इंदौरी मित्र। खाने के लिये हमें 9 बजे भोजनशाला में पहुँचना था उसके पूर्व थकान मिटाने की दवा लेने के लिये सारे मित्र एक ही कमरे में एकत्र हो गये। एक को छोडक़र हम पाँचों ने केरल सरकार का राजस्व बढ़ाने में अप्रतिम सहयोग किया। वहाँ हार्ड पेय पदार्थ पर मूल्य का 75 प्रतिशत राज्य सरकार का टेक्स है। जिसके कारण मध्यप्रदेश की तुलना में केरल महँगा है।
गपशप चल ही रही थी कि फोन की घंटी घनघना उठी भोजन का बुलावा आ गया था। नीचे भोजनशाला में टीम के बाकी सदस्य हम लोगों का इंतजार ही कर रहे थे। केरल के लजीज भोजन का आनंद लिया। घड़ी की सूईयां रात्रि के दस बजा रही थी सभी लोग सोने चले गये। बाहर मुन्नार के मौसम में सडक़ों पर पानी से भरे बादल आवारागर्दी कर रहे थे हमनें भी अठखेलियां की उन बादलों से जो हमें भिगो रहे थे। सुबह हमें मुन्नार के सौन्दर्य का रसपान करना था।
शेष कल