मालवा प्रांत के शक्ति संगम में बोली
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति, दुर्गा वाहिनी मालवा प्रांत के शक्ति संगम के अवसर पर साध्वी ऋतंभरा दीदी ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हमारे तीर्थ स्थल और आराधना स्थल पर हिंदू समाज का ही व्यापार होना चाहिए। विधर्मियों को इसका अधिकार नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि आप हज करने जाएं और मुसलमान न हों, तो आपको वहां प्रवेश नहीं मिलेगा। फिर हमारे यहां इतनी छूट क्यों दी जाती है? यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग छद्म नाम से हमारे यहां व्यापार कर रहे हैं। साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि हमारे यहां देवों की आराधना के दौरान खान-पान की पवित्रता सबसे महत्वपूर्ण होती है। यदि यह व्यवस्था विधर्मियों के हाथ में रहेगी, तो कौन गारंटी देगा कि उसमें पवित्रता है या नहीं। इसलिए इसमें तुरंत बदलाव होना चाहिए।
हमारे सभी तीर्थ स्थलों और आराधना स्थलों पर केवल उन्हीं का होना चाहिए जो भगवान को भगवान मानते हैं, भारत भूमि को मां मानते हैं। उन्होंने कहा, जिनके विचित्र आचरण और व्यवहार हैं, उनके लिए यह उचित नहीं है। यह देखकर लगता है कि हमारे धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
मोहन भागवत के बयान पर दी प्रतिक्रिया
साध्वी ऋतंभरा ने मोहन भागवत के बयान पर कहा कि हमें कानून के माध्यम से अपने प्राचीन परंपराओं का पालन करने का अधिकार है। भारत में मंदिरों के ध्वस्त होने और हिंदू समाज पर हुए अत्याचारों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह प्रयास उसी अतीत को सामने लाने का है।
स्त्रियों की सशक्तता पर दिया जोर
राजनेता हमारी रक्षा करने थोड़ी आएंगे। यदि अन्याय हो रहा है, तो उसका विरोध संगठित होकर करना होगा। राज्य अपना काम करता है और राष्ट्र अपना। स्त्री न अबला है, न असहाय; वह स्वयं सिद्ध और सक्षम है। आज यहाँ दुर्गाओं के जोश को देखकर यह विश्वास हो गया है कि स्त्री अपनी रक्षा स्वयं कर सकती है। उन्होंने कहा, संस्कारों का प्रबल होना बहुत जरूरी है। हर घर के अंदर संस्कारों का वातावरण बनाना चाहिए। आज दुर्गा वाहिनी और मातृशक्ति का संगम हुआ। यह संगम भगवती माता अहिल्याबाई होलकर के पुण्य स्मरण और मातृ वंदना के लिए था। इस अवसर पर हजारों दुर्गाएँ यहाँ एकत्रित हुईं।
स्त्री को सशक्त और स्वयं सिद्ध होना जरूरी
साध्वी ऋतुंभरा ने कहा, हमने यह संकल्प लिया है कि देश और धर्म पर जो भी चुनौतियाँ आएंगी, उन्हें हम स्वीकार करेंगे। भारत की भूमि सनातनी भूमि है और इसकी परंपरा में प्रदूषण नहीं होना चाहिए। उन्होंने देश के भीतर और बाहर हो रही घटनाओं पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, देश में होने वाली बहुत सी घटनाएँ मन को उद्वेलित कर देती हैं। बांग्लादेश में हिंदू स्त्रियों के साथ हो रहे अत्याचारों को देखकर यह लगता है कि स्त्री को सशक्त और स्वयं सिद्ध होना जरूरी है। उसे अपनी रक्षा स्वयं करने में सक्षम बनना होगा।
25 हजार महिलाएं शामिल हुईं यात्रा में
विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति, दुर्गा वाहिनी की ओर से मालवा प्रांत की लगभग 25,000 माताएं और बहनें एकत्रित हुईं। उनका आयोजन त्रिवेणी संग्रहालय के पास महाकालेश्वर मंदिर के निशुल्क अन्नक्षेत्र में हुआ। यहां से शौर्य यात्रा प्रारंभ हुई, जो महाकाल लोक से होते हुए गुदरी, पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, छत्री चौक, सराफा, कण्ठाल चौराहा, कोयला फाटक होकर सामाजिक न्याय परिसर पहुंची थी।