उज्जैन की पत्रकारिता का एक गौरवशाली इतिहास रहा है उज्जैयिनी की इस धरा को पत्रकारिता क्षेत्र के धुरंधर कर्मयोगियों ने अपनी कर्मस्थली बनाया और पत्रकारिता के क्षितिज में दैदीप्यमान नक्षत्र बनने का गौरव हासिल किया। इसी शहर ने मूर्धन्य पत्रकार ठाकुर शिवप्रताप सिंह, अवंतीलाल जी जैन, शिवकुमार जी वत्स, प्रोफेसर प्रेम भटनागर, कन्हैयालाल जी वैध, प्रेमनारायण जी पंडित, रामरतन जी ज्वेल, प्रकाश जी उप्पल, रामचंद जी श्रीमाल, रामकिशोर जी गुप्ता, विमलचंद्र जैन, राजेश जैन, मुस्तफा आरिफ की कलम के जौहर देखे हैं।
उज्जैन के कुछ पत्रकार राष्ट्रीय स्तर पर भी इस शहर का नाम रोशन कर रहे हैं जिनमें वर्तमान में आलोक जी मेहता, कपिल शर्मा तथा चंद्रकांत जोशी प्रमुख नाम हैं। यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि यहाँ कि पत्रकारिता में भले ही महानगरों में होने वाली चमक-दमक का तडक़ा नहीं है। परंतु अपने सिद्धांतों और उसूलों के लिये यहाँ के पत्रकारों की नयी पीढ़ी ने भी ऐतिहासिक विरासत को कायम रखते हुए सदैव सकारात्मक पत्रकारिता ही की है। अपनी कलम के माध्यम से सदैव उज्जैन के हित की ही बात को उठाने का काम किया है।
मैं बीते दिनों हुई दो घटनाओं से बहुत प्रभावित हुआ हूँ और साधुवाद देना चाहता हूँ उज्जैन के मीडिया जगत को। पहली घटना टाटा कंपनी द्वारा शहर में भूमिगत सीवरेज लाइन के गुणवत्ताविहीन कार्य के कारण जहाँ शहर के नागरिक परेशान हैं वहीं दूसरी ओर ऊँचे-नीचे चेम्बरों के कारण गत दिनों एक युवा अभिभाषक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
अभिभाषक की मौत को लेकर शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने इसके विरोध में आवाज बुलंद की। अभिभाषकों ने धरना देकर अपना विरोध दर्ज किया। उज्जैन के सम्पूर्ण मीडिया साथियों ने एक मत से टाटा कंपनी द्वारा करवाये जा रहे घटिया निर्माण कार्यों के लिये लानत-मलानत की, प्रशासन नींद से जागा और उसे कठोर कदम उठाने पड़े, जिसके परिणामस्वरूप अगले ही दिन से अव्यवस्थित चेम्बरों को व्यवस्थित किये जाने का कार्य प्रारंभ हो सका।
इस मुद्दे पर दो चीजों से पीड़ा हुई पहली तो यह कि उज्जैन शहर के प्रबुद्ध अभिभाषक जब जागे तब उनके ही बीच के साथी का पुत्र काल-कवलित हो गया। पिछले कई दिनों से उज्जैन का मीडिया इस मुद्दे पर लिख रहा था तब अभिभाषकों द्वारा साथ ना देना दुर्भाग्यपूर्ण रहा। यदि पहले ही इस लड़ायी को उज्जैन के सभी सामाजिक, राजनैतिक और प्रबुद्ध लोगों द्वारा लड़ लिया जाता तो शायद यह हादसा नहीं होता।
हम पूरे विश्व को अपना कुटुम्ब की धारणा में विश्वास रखते हैं तो फिर शहर के ही किसी मुद्दे पर एकमत होकर विरोध क्यों नहीं किया जाना चाहिये? निश्चित तौर पर चेम्बर तो ठीक किये जा रहे हैं परंतु टाटा द्वारा किये जा रहे घटिया कार्य की बानगी लोटी स्कूल सहित अनेक स्थानों पर देखी जा सकती है। जहाँ पाइप-लाइन डालने के बाद की गई मरम्मत का पूरा सरफेस ही खराब हो गया है।
निगमायुक्त ने जब प्रत्येक झोन के लिये टाटा के साथ उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों के निरीक्षण हेतु यंत्रियों की नियुक्ति की है तो फिर वह अभियंता क्या कर रहे थे। उन्होंने चेम्बरों की सतह से ऊपर वाली गड़बड़ी को क्यों नहीं देखा। संबंधित अभियंता भी इस मामले में टाटा कंपनी के साथ दोषी है।
दूसरी घटना में शहर की बेतरतीब यातायात व्यवस्था को लेकर उज्जैन प्रेस जगत ने मुहिम छेड़ी, विशेषकर देवासगेट बस स्टैण्ड से लेकर दौलतगंज चौराहे तक किये गये अतिक्रमण को रेखांकित किया। सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह था कि दौलतगंज सब्जी मण्डी के बाहर सब्जी वालों का अतिक्रमण। प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्यवाही की और सब्जी वालों को सडक़ पर से हटाया जिससे पिछले दिनों से नागरिक सुकून महसूस कर रहे हैं।
महाकाल जाने वाला मार्ग अब सुंदर, व्यवस्थित, आरामदायक सुगम लग रहा है। निगम की इस कार्रवाई से अब यातायात व्यवस्थित हो गया है और जाम की समस्या से भी निजात मिल गई है। जनहित के इन दो मुद्दों पर ‘प्रेस’ की सकारात्मक भूमिका से शहर के नागरिकों को लाभ मिला है।
बधाई मीडिया एवं आभार