शहर में जाम को लेकर प्रशासन की कोई तैयारी नहीं, ईरिक्शा संचालन को लेकर निर्णय हुआ फेल

मुख्य चौराहों पर अक्सर लगा रहता है जाम, महाकाल क्षेत्र की स्थिति खराब

उज्जैन, अग्निपथ। शहर के लोग इन दिनों ईरिक्शा और अन्य वाहनों के कारण हो रहे जाम की स्थिति से परेशान हैं। शहर के मुख्य चौराहों से निकलना मुश्किल हो गया है। पुराने शहर में स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब है। जाम का कारण ईरिक्शा और आटो रिक्शा बन रहे हैं। ईरिक्शा संचालन को लेकर पिछले साल दो शिफ्ट में संचालन को लेकर निर्णय हुआ था ताकि जाम की स्थिति से मुक्ति मिल सके, लेकिन इसका पालन हवा हवाई हो गया।

पिछले वर्ष जून माह में ईरिक्शा संचालन को लेकर कलेक्टर के निर्देश पर तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसने निर्णय लिया था कि शहर में चल रहे 8 हजार से अधिक ईरिक्शा को लाल पीले पट्टे लगाकर इनका समय निश्चित कर दिया जाय। इस व्यवस्था का विरोध भी हुआ और अंतत: यह व्यवस्था लागू कर दी गई थी।

लेकिन देखरेख के अभाव में इन तीन सदस्यीय कमेटी के अधिकारियों से व्यवस्था नहीं संभली और आज किसी भी समय कोई भी ईरिक्शा संचालित हो रहा है जोकि जाम की कारण बन रहा है। हालांकि नवागत कलेक्टर रोशनसिंह ने ट्रेफिक व्यवस्था को सुधारने को लेकर संकेत दिये हैं।

मुख्य चौराहों पर अनियंत्रित चला रहे वाहन

मुख्य चौराहों पर तो जाम की स्थिति बन ही रही है, साथ ही महाकाल क्षेत्र में यह स्थिति भयावह हो गई है। यहां पर वाहन चालक अनियंत्रित होकर वाहन रांग साइड में घुसा रहे हैं। जिसके चलते जाम की स्थिति विकराल रूप धारण कर रही है। यातायात पुलिस के कहीं पर अते पते नहीं दिख रहे हैं। जानकारी में आया है कि केवल 85 यातायात पुलिस कर्मियों के भरोसे ही शहर की यातायात व्यवस्था चल रही है। यह भी शहर में कहीं पर दिखाई नहीं देते हैं। जिसके चलते कौन जाम की स्थिति से मुक्त कराये पर इस पर भारी प्रश्रचिंह्न चस्पा हो गया है।

शहर के सिग्नल का पालन नहीं

शहर के मुख्य चौराहों के कई यातायात सिग्नल खराब पड़े हुए हैं। तीन बत्ती चौराहा, इंदिरा नगर चौराहा सहित अन्य सिग्नलों को सुधारने की दिशा में कोई काम नहीं किया गया है। लिहाजा लोग यातायात पुलिसकर्मी उपस्थित नहीं होने की दशा में रेड सिग्नल होने के बाद भी अपने वाहन निकाल ले जाते हैं। ऐसा नहीं है कि यह काम केवल दोपहिया वाहन चालक ही कर रहे हैं। ईरिक्शा और आटो रिक्शा चालक भी ऐसा काम कर रहे हैं।

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