कोविड का खौफ: महाकालेश्वर मंदिर में बिना श्रद्धालुओं के हुआ होलिका दहन

भोपूजी की भजन संध्या भी नहीं हो पाई, परंपरागत आरती पूजन के बाद हुआ दहन, केवल अधिकारी और मीडियाकर्मी रहे मौजूद

उज्जैन। कोरोना संक्रमण के चलते रविवार को लॉक डाउन लगाया गया था। जिसका असर महाकालेश्वर मंदिर में प्रदोषकाल में जलने वाली होलिका दहन पर भी पड़ा। लॉकडाउन के चलते होलिका दहन परंपरा का केवल निर्वहन किया गया। इसमें केवल अधिकारी और चुनिंदा मीडियाकर्मी मौजूद रहे।

फाल्गुन पूर्णिमा पर रविवार को सर्वार्थसिद्धि योग में शासकीय पुजारी घनश्याम गुरू ने अपने साथियों के साथ होलिका का पूजन किया। होलिका को गुलाल चढ़ाने के बाद पुले की आग से होलिका को प्रज्जवलित किया गया। पश्चात पंडे पुजारियों द्वारा होलिका की प्रदक्षिणा कर आशीर्वाद प्राप्त किया गया।

प्रदोषकाल में शाम 6.37 से रात 8.59 बजे तक पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय था। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सबसे पहले होलिका दहन कर होली मनाई गई। कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने महाकाल मंदिर व शहर में कोरोना नियम के तहत होली मनाने की हिदायत दी है।

ज्ञात इतिहास में पहली बार महाकाल मंदिर में पुजारियों के गुलाल लेकर आने पर पाबंदी लगाई गई थी। पारंपरिक होली उत्सव के लिए मंदिर समिति ने सुबह की भस्म आरती के लिए पुजारी बालागुरु को गुलाल उपलब्ध कराया गया था।

मंत्रोच्चार के बीच गुलाल को पानी में डालकर भगवान महाकाल का गुलाल जल से अभिषेक किया गया तत्पश्चात भगवान का श्रंृगार कर भस्म आरती की गई। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रदोषकाल में होली का पूजन तथा अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में दहन किया जाता है।

उज्जयिनी की परंपरा अनुसार होली, दीवाली आदि प्रमुख त्योहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाते हैं। रविवार को भी स्थानीय पंरपरा अनुसार शाम 7.30 बजे महाकाल मंदिर में होलिका का पूजन व दहन किया गया। जिसमें चुनिंदा पुजारी और पुरोहित गण शामिल रहे।

कोरोना के चलते सख्त निर्देश

कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर प्रशासन ने पुजारी, पुरोहितों को केवल परंपरा निभाने के निर्देश दिए थे। मंदिर प्रशासन द्वारा जारी पत्र के अनुसार 28 मार्च को संध्या व शयन आरती तथा 29 मार्च को भस्मारती में कोरोना नियम का पालन करते हुए मात्र परंपरा का पालन करने के लिए कहा गया था। गौरतलब है कि उज्जैन में सभी त्योहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाते हैं, इसके बाद पूरा शहर उन्हें मनाता है।

संध्याकालीन आरती में गुलाल चढ़ाया

भगवान महाकाल की संध्या आरती में उनको गुलाल चढ़ाकर आरती की गई। भगवान का अद्भुत रूप देखकर सभी आनंदित हो रहे थे। तहसीलदार और सहायक प्रशासाक पूर्णिमा सिंगी, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, प्रतिक द्विवेदी, सहायक प्रशासक आरके गेहलोत, टीआई आरके यादव, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरपी तिवारी इस मौके पर रहकर कोरोना नियमों का पालन करवा रहे थे। बेरिकेड्स में केवल मंदिर के ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी औ मीडियाकर्मी उपस्थित रहे।

बिना मस्ती के छाई मायूसी

महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन वाले दिन भरपूर मस्ती का आलम रहता है। भगवान महाकाल को गुलाल अर्पित करने के बाद दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं पर भी गुलाल उड़ाया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। कोरोना संक्रमण की सख्ती के चलते केवल भगवान महाकाल को ही गुलाल अर्पित हो पाया। प्रतिवर्ष होलिका दहन के दौरान होने वाली इंदौर के प्रसिद्ध गायक भोपू जी की भजन संध्या भी नहीं हो पाई। जिसका दर्द पंडे पुजारियों और आम लोगों में भी देखा गया।

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