टाटा कंपनी ने शहर की अधिकांश सड़कों पर गड्ढे खोदकर नागरिकों की मुसीबत को बढ़ा दिया है। क्योंकि इन गड्ढों की वजह से धूल के गुबार के साथ साथ वाहनों के खराब होने की शिकायत भी आ रही है। अनेक जगह तो दुर्घटनाएं भी हो रही है। लेकिन टाटा कंपनी के जिम्मेदारों को इससे कोई वास्ता नहीं है उन्हें तो सिर्फ अपने धीमी गति के कार्य पर ही ध्यान देना है। यही नहीं अनेक जगह तो सड़कों पर लेवल तक नहीं मिलाया गया है। जबकि उच्च शिक्षा मंत्री ने एक बैठक के दौरान यह निर्देश पर दिये थे कि कार्य में गुणवत्ता के साथ सड़कों पर लेवल होना चाहिए। जबकि टाटा कंपनी ने जिस तरफ भी सड़कें खोदी हैं उनका सही ढंग से भराव तक नहीं किया गया है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण माधवनगर रेलवे स्टेशन के सामने आसानी से देखने को मिलेगा। यहां टाटा कंपनी के जिम्मेदारों ने देखना भी उचित नहीं समझा की कार्य कहां तक पूरा करना है। उन्होंने तो सिर्फ सड़क पर भराव कर दिया और उसे औचारिकता पूर्ण कर छोड़ दिया गया है। वहीं दूसरी ओर आगररोड जो कि सबसे व्यस्ततम मार्ग है यहां पर अधिकांश वाहनों का जाम लग जाता है। क्योंकि यहां पर सड़क खुदाई के साथ धूल के गुबार से वाहन चालकों को चलने में भी परेशानी आती है। क्योंकि धूल के गुबार में कुछ देर के लिये तो दिखना ही बंद हो जाता है और दुर्घटना की संभावना ज्यादा बढ़़ जाती है। वहीं सांसद भी टाटा कंपनी के जिम्मेदारों को कार्य में गुणवत्ता व सड़क भराव को लेकर हिदायत दे चुके हैं। फिर कार्य में कोई सुधार नहीं है।