कोरोना को लेकर देश व शहर ने लाकडाउन का दंश करीब 5 माह से भी अधिक समय तक झेला है और अभी भी इस दंश की कुछ किस्ते चुकायी जा रही है। यहां पर जिला प्रशासन ने सबसे पहले महाकाल मंदिर में प्रवेश को लेकर कुछ नियम बनाये हैं और उसमें भस्मारती दर्शन के साथ बाहर से आने वाले दर्शनार्थियों और स्थानीय दर्शनार्थी के साथ आये बच्चों के प्रवेश पर रोक लगा रखी है। जिससे आने वाले दर्शनार्थियों को दर्शन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि बच्चों को अगर बाहर छोड़ा तो एक व्यक्ति को बाहर ही बच्चों के साथ रहना पड़ेगा। जिससे वह दर्शन से वंचित रह जायेगा। चूंकि उज्जैन धार्मिक नगरी है और यह त्योहरों को लेकर एक अलग ही उत्साह रहता है। लेकिन जिला प्रशासन ने अनेक उत्सवों पर प्रतिबंध लगाकर उनका आनंद ही खत्म कर दिया है। अब दीपोत्सव आ रहा है और उसके पूर्व कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर कोरोना को देखते हुए प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन इसका ब्राह्मण समाज ने विरोध करते हुए ज्ञापन के माध्यम से इस पर से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। जिला प्रशासन को अब समझना चाहिए कि नागरिक कोरोना को लेकर काफी जागरूक हो चुके हैं और सुरक्षा को लेकर चिङ्क्षतत भी रहते हैं।