पश्चिम बंगाल में बवाल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान देश के सारे ही राजनैतिक दलों की नैतिकता और गरिमा का गिरा हुआ स्तर देखकर भारतवासी ऐसे ही शर्मिन्दा थे। चाहे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी हो या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हो, किसी ने भी अपने संवैधानिक पद की गरिमानुसार मर्यादित आचरण नहीं किया।
जैसे-तैसे चुनाव निपटे, परिणाम आये उसके बाद बंगाल में फिर हिंसा भडक़ी, जिसमें राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं की मौत की भी खबरें है, बाजार लूटे गये, भाजपा नेताओं और उनकी गाडिय़ों पर पथराव किया गया। प्रजातंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है फिर भी बंगाल में हिंसा चुनाव पूर्व, चुनावों में और चुनाव बाद भी हुयी। पूरा देश बंगालवासियों से उम्मीद करता है कि वहाँ के लोग अधिक परिपक्व एवं संवेदनशील है। जो निर्णय बंगाल करता है बाकी देश राज्य बाद में करते हैं।
खैर सब कुछ धीरे-धीरे शांत हो रहा था इसी बीच आज फिर एक नये मामले ने तूल पकड़ लिया है। कई वर्षों से बोतल में बंद ‘नारदा स्टिंग कांड’ का जिन्न आज फिर बोतल से बाहर आ गया है। अब केन्द्र सरकार, बंगाल के राज्यपाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी अपनी-अपनी तलवारें भांज कर मैदान में है। अपेक्षित विजय ना मिल पाने से बौखलायी केन्द्र की भाजपा सरकार बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नीचा दिखाने का कोई अवसर नहीं छोडऩा चाहती है।
केन्द्रीय जाँच ब्यूरो के दल ने ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और कोलकाता की पूर्व महापौर शोवन चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि न्यायालय ने सोमवार की देर शाम चारों को जमानत दे दी। गिरफ्तारी के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केन्द्रीय जाँच ब्यूरो के कार्यालय में 6 घंटे तक बैठी और खुद की गिरफ्तारी की माँग करने लगी।
ऑफिस के सामने तृणमूल काँग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, पत्थरबाजी की। इस पर पुलिस ने तृणमूल कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। बाद में पश्चिम बंगाल के कानून मंत्री सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में पहुँचे हैं।
जिस नारदा स्टिंग मामले में आज गिरफ्तारियां हुयी है यह मामला नया नहीं है। पश्चिम बंगाल के पिछले विधानसभा चुनावों के पहले भी यह मामला उठ चुका है परंतु बंगाल के मतदाताओं पर उस समय भी इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।
घटना 2016 की है नारदा डॉट काम के नाम से न्यूज पोर्टल में कार्यरत पत्रकार मैथ्यू सेमुअल ने एक कंपनी का प्रतिनिधि बनकर सत्तारूढ़ दल तृणमूल काँग्रेस के 7 सांसदों, 3 मंत्रियों, कोलकाता की पूर्व महापौर शोवन चटर्जी को काम के एवज में मोटी रकम देने का स्टिंग ऑपरेशन किया था। वायरल हुए वीडियो में तृणमूल के नेता कंपनी प्रतिनिधि बने पत्रकार से रुपये लेते नजर आ रहे थे। इस वीडियो ने बंगाल में सनसनी फैला दी थी।
तृणमूल काँग्रेस की सरकार ने पत्रकार मैथ्यू के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कर लिया था। फोरेन्सिक जाँच के बाद वायरल हुयी वीडियो सही पायी गयी। इस आधार पर पत्रकार मैथ्यू को कोलकत्ता उच्च न्यायालय से राहत भी मिल गयी थी। मामला हाईकोर्ट पहुँचने पर न्यायालय ने इस मामले को केन्द्रीय जाँच ब्यूरो को सौंपने के आदेश पर यह मामला सी.बी.आई. के पास पहुँचा था।
यह मामला दर्ज होने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था परंतु 5 वर्षों बाद इसे फिर गरमाया गया। अब इस मामले में केन्द्रीय जाँच ब्यूरो के सामने भी धर्म संकट खड़ा हो गया है। नारदा स्टिंग कांड में मोटी रकम लेने वाले टी.एम.सी. के कुछ चेहरे अब भाजपा के खेमे में है। अब यह देखना प्रासंगिक होगा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराकर सुपर हीरो बनने वाले शुभेंदु अधिकारी एवं मुकुल राय पर भी क्या केन्द्रीय जाँच ब्यूरो ऐसी ही कार्रवाई कर पायेगी जैसी आज उसने टी.एम.सी. दो मंत्रियों, एक विधायक और पूर्व महापौर शोवन पर की है?