कांग्रेस नेत्री नूरी खान कोरोना काल में पूरे समय मैदान में नजर आ रही हैं। कभी वह किसी के लिए आक्सीजन की व्यवस्था करती हुई नजर आती हैं तो कभी किसी के लिए अस्पताल में बिस्तर के लिए लड़ती दिखती हैं। एक अवसर पर तो वह अपना रोजा तोडक़र प्लॉज्मा डोनेट करती हुई भी नजर आई हैं।
निश्चित रूप से कांग्रेस नेत्री नूरी खान ने यह सब काम कर लोगों के दिलों में जगह बनाई है किंतु इसी बीच एक सुबह नूरी खान के घर पुलिस पहुंच जाती हैं और उन्हें धारा 188 के तहत गिरफ्तार कर लिया जाता है। विधायक महेश परमार उन्हें छुड़वाने नानाखेड़ा थाने पहुंचते हैं। स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को नूरी खान हाथ में फूल लेकर ज्ञापन देने जाती हैं तो रास्ते में ही उन्हें रोक लिया जाता है। उन्हें रोककर गिरफ्तार कर लिया जाता है। उनके ऊपर धारा 151 के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए भैरवगढ़ जेल भेज दिया जाता है।
इन सब राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार नूरी खान से किसको खतरा महसूस हो रहा है। पुलिस द्वारा जो कार्रवाई की गई है वह सत्ता के इशारे के बिना किसी भी हाल में संभव नहीं है। इसका मतलब साफ है सत्ता में कोई ऐसा है जिसको नूरी खान से खतरा है।