कोरोना के संकट काल में कई लोगों ने आपदा को अवसर में बदलने की कोशिश की है। इसी तरह की एक कोशिश को मास्टर साहब ने भी अंजाम दिया है। मास्टर साहब ने कुछ समय पहले ही सरकारी नौकरी छोड़ कर खादी पहनी है।
कोरोना के संकट काल में कुछ समय पूर्व रेमडेसिविर इंजेक्शन की बहुत जरूरत पड़ रही थी। जिसके चलते इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही थी। मास्टर साहब आगर रोड स्थित एक बहुत बड़े अस्पताल से सीधे जुड़े हुए हैं। इस अस्पताल से जुड़े रहे युवक रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पुलिस की गिरफ्त में आए थे।
हालांकि पुलिस ने छोटी मछलियों को पकडक़र मामला ठंडा कर दिया। वहीं बड़े मगरमच्छों को अभयदान दे दिया। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में मास्टर साहब की भूमिका सामने आई थी। नए शहर स्थित एक शिशु रोग चिकित्सक के क्लीनिक के बाहर स्थित मेडिकल पर से इंजेक्शन बेचे जाते थे।
मास्टर साहब इन दिनों कई महत्वपूर्ण बैठकों में भी मौजूद नजर आते हैं। ऐसी परिस्थितियों में इस बदनामी की ठिकरा बैठक में मौजूद लोगों के माथे पर फूटना भी तय था। इस कारण यह मामला पूरी तरह दबा दिया गया। हालांकि मास्टर साहब की दुकान अब भी चालू है। अब वे लोगों को दवाई खिलाने का काम जोरों पर कर रहे हैं।