शिक्षा के क्षेत्र से राजनीति में आए मास्टर साहब के कारनामे इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। जीवनदायी रेमडेसिविर के इंजेक्शन की हेराफेरी ने तो मास्टर साहब की भूमिका जगजाहिर हो चुकी है। अब मास्टर साहब के ब्लैक कारनामे भी धीरे-धीरे उजागर होने लगे हैं।
कोरोना के साथ-साथ देशभर में ब्लैक फंगस ने भी अपने पैर पसार लिए थे। बस यहीं से मास्टर साहब के मास्टर माइंड में अपना काम करना शुरू कर दिया था। रेमडेसिविर के इंजेक्शन के बाद उन्होंने ब्लैक फंगस को कम करने वाले इंजेक्शनों का खेल शुरू कर दिया।
उनका यह खेल इतने दिनों से चला भी आ रहा था। खेल अच्छा चलने के पीछे राजधानी में उनका जमा हुआ पैर था। यहां इंजेक्शन भले ही ब्लैक करते थे किंतु राजधानी में बैठे आकाओं को आसानी से उपलब्ध करा देते थे। किंतु ‘कुछ दिनों’ से उनका ‘हिसाब’ का मामला गड़बड़ हो गया है। इसी कारण मास्टर साहब के ब्लैक कारनामे धीरे-धीरे बाहर आने लगे हैं। हालांकि अभी-भी मास्टर साहब को पूरी उम्मीद है कि उन्हें इस पूरे प्रकरण से उनके मुंहबोले पिताजी बचा लेंगे। अभी-भी उन्हें पूरा भरोसा दशहरा मैदान वाले ‘बाबूजी’ पर बना हुआ है। हाल ही के दिनों में बाबूजी नेे कई नेेताओं को फोन लगाकर कोरोना काल में उनके व परिवार के कुशल क्षेम पूछे हैं।