झाबुआ। 1 जून से मप्र को अनलॉक किए जाने के संकेत सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं। इसके साथ ही 16 अप्रैल से बंद पड़ी निजी बसें भी चालू हो सकती है। हालांकि कोरोना कफ्र्यू के दौरान सार्वजनिक परिवहन को छूट दी गई थी। इसके बावजूद बस ऑपरेटरों ने बसों का संचालन रोक दिया था। अप्रैल में संक्रमण फैलने के बाद लोगों ने बाहर आने-जाने के कार्यक्रम टाल दिए थे। जरूरी होने पर निजी वाहनों से यात्रा की। जिसके चलते बसों को यातायात नहीं मिलने पर बस ऑपरेटरों ने संचालन पूरी तरह रोक दिया।
झाबुआ के बस स्टैंड से रोजाना करीब 140 बसों का संचालन होता है। यहां से जिले के अलावा राजस्थान, गुजरात के लिए भी बसें चलती हैं। 16 अप्रैल के बाद गुजरात राज्य परिवहन की बसें कुछ दिन चलती रही, लेकिन फिर यातायात नहीं मिलने के कारण यह भी बंद हो गई थी। कुछ लंबी दूरी की बसों को छोडक़र सारी बसें बंद हैं।
चालक परिचालकों को नहीं मिली मदद
बसों के चक्के थम जाने से बस स्टाफ की आर्थिक रूप से कमर टूट गई है। मप्र चालक परिजन संघ के जिलाध्यक्ष हाजी लाला ने कोरोना कफ्र्यू के दौरान बसें बंद रहने से चालक, परिचालक व हेल्पर को वेतन दिलाए जाने की मांग करते हुए कलेक्टर को आवेदन दिया था। इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई।
लोगों को काफी सुविधा हो जाएगी
जिले की सबसे बड़ी निजी बस कंपनी 1 जून से 6 मार्गों पर बस सेवा फिर से शुरू कर रही है। कंपनी के मनीष जैन ने बताया कि उनके पास 48 रूट के परमिट हैं। जिसमे से 1 जून से 6 मार्गों पर बसें चालू करने की योजना है। इसमें इंदौर, बड़वानी, रतलाम, पेटलावद, राजगढ़ व मेघनगर मार्ग शामिल है। बस शुरू हो जाने से लोगों को काफी सहूलियत हो जाएगी।
स्थिति सामान्य होने व यातायात बढऩे पर धीरे-धीरे ज्यादा बसों को चलाया जाएगा। जैन ने बताया की कोरोना कफ्र्यू के दौरान बसें बंद होने के बावजूद रोड टैक्स भरना पड़ेगा। बीमा व फिटनेस अवधि भी नहीं बढ़ाई जा रही। बैंक लोन पर ब्याज भी माफ नहीं किया गया। कुल मिलाकर बस ऑपरेटरों को तगड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।