बाइक पर बनी जुगाड़ लोडिंग के पलटने से दो बच्चों की मौत के बाद शव लेकर भाग निकले पति-पत्नी
उज्जैन, अग्निपथ। देवासरोड पर सोमवार शाम हादसे में दो मासूम बच्चों की मौत के बाद पुलिस को उनके शव पोस्टमार्टम कक्ष में रखवाने के लिये डेढ़ घंटे की मशक्कत के साथ 12 किलोमीटर तक वाहन भी दौड़ाना पड़े। दंपति अपने बच्चों के शव लेकर अस्पताल से भाग निकले थे।
नागझिरी थाना क्षेत्र के देवासरोड स्थित हामूखेड़ी में प्रवेश मार्ग पर यात्री प्रतीक्षालय के पास शाम 5:30 के लगभग बाइक पर बनी जुगाड़ लोडिंग पर सवार दंपति रतन भील और रेखा अपने 3 माह के मासूम सन्नी के साथ 8 साल की राधा को लेकर घर लौट रहे थे। अचानक मोड़ से पहले सामने से दूध वाहन आ गया। जिससे बचने के प्रयास में जुगाड़ का संतुलन बिगड़ गया और सडक़ किनारे पलटी खा गई। दोनों बच्चों को गंभीर चोट आई और दंपति भी घायल हो गये।
सूचना मिलने पर डायल १०० मौके पर पहुंची और चारों को जिला अस्पताल लाया गया। जहां परीक्षण के बाद डॉक्टरों ने कहा कि दोनों बच्चे नहीं रहे। दंपति ने बच्चों को गोद में उठा लिया और हंगामा करते हुए अस्पताल से बाहर निकल गये। अस्पताल पुलिस चौकी के जवानों ने उन्हे रोकने का प्रयास किया और शव पोस्टमार्टम कक्ष में रखने की बात कहीं। दोनों नहीं माने और अस्पताल गेट से बाहर पहुंच गये। सूचना मिलते ही कोतवाली और देवासगेट पुलिस आ गई। लेकिन दंपति को रोकने में नाकाम रहे।
हंगामा बढ़ता देख पुलिस कंट्रोल रूम से फोर्स बुलाया गया और ऑटो में सवार होकर जा रहे दंपति को फ्रीगंज ब्रिज से पहले रोक कर आटो से उतारा गया। मां के हाथ में 3 माह के मासूम का शव था, पिता ने 8 साल की बेटी के शव को कंधे पर उठा रखा था। दोनों पुलिस की घेराबंदी को तोडक़र पैदल भागने लगे। इस बीच सीएसपी पल्लवी शुक्ला मौके पर पहुंची और मामला शांत करने का प्रयास किया।
पुलिस ने दंपति को आटो में बैठाया। वह अस्पताल आने से पहले अपने घर हामूखेड़ी जाना चाहते थे। पुलिस की 2 से 3 गाड़ी उनकी आटो के पीछे लग गई। शाम 6:15 पर हामूखेड़ी पहुंचने पर सीएसपी ने परिवार को समझाया और कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की बात कहीं। करीब 20 मिनट की समझाइश के बाद दोनों मासूमों के शव 7 बजे जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम कक्ष लाए गये।
बच्चों की मौत का यकीन नहीं
रतन भील अपने परिवार के साथ महिदपुर ससुराल गया था, जहां से खुशी-खुशी वापस अपने घर हामूखेड़ी लौट रहा था, अचानक हुए हादसे के बाद वह दोनों बच्चों के दुनिया में नहीं रहने की बात सुनकर उन्हे यकीन नहीं हुआ। वह दोनों को घर ले जाने की जिद पर अड़ गये थे। बताया जा रहा है कि रतन भील का परिवार मूल रूप से थांदला का रहने वाला है, सालों से उज्जैन में रहकर मजदूर कर रहे हैं। पूर्व में हरिफाटक ब्रिज के नीचे रहते थे। 5 सालों से हामूखेड़ी में रहने लगे है।
अस्पताल से हामूखेड़ी की दूरी 12 किमी
जिला अस्पताल से हामूखेड़ी की दूरी लगभग 12 किलोमीटर की है। पुलिस ने मासूमों के शव पोस्टमार्टम कक्ष में रखवाने के लिये दंपति को पहले जिला अस्पताल परिसर में रोका उसके बाद फ्रीगंज ब्रिज से पहले, फिर पुलिस कंट्रोल रूम के समाने और एक बार देवासरोड पर रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह बच्चों को लेकर वापस अस्पताल नहीं आना चाहते थे। रतन ने शराब भी पी रखी थी और नशे से चूर था। आखिर पुलिस को उनके पीछे हामूखेड़ी तक जाना पड़ गया।
शाम 7:30 बजे हुआ पोस्टमार्टम
पुलिस ने प्रशासन ने दंपति की स्थिति को देखते हुए नागझिरी थाना पुलिस को मर्ग कायम कर पोस्टमार्टम करने के लिये कहा। एसआई दिनेश भट्ट व पुलिस जवानों ने आधे घंटे में मर्ग प्रक्रिया के दस्तावेज तैयार कर शाम 7:30 बजे पोस्टमार्टम कराया और शव वाहन बुलाकर मासूमों की बॉडी परिजनों को सौंप दी।