तापी को बचाना पड़ा महंगा, कलेक्टर ने उपयंत्री को निलंबित किया

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उज्जैन, अग्निपथ। शहर में पेयजल लाइन डालने का ठेका लेने वाली कंपनी तापी को बचाना और कंपनी की लापरवाहियों पर पर्दा डालने की कोशिश करना लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रभारी सहायक यंत्री को भारी पड़ गया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने प्रभारी सहायक यंत्री रविंद्र हरणे को निलंबित कर दिया है। नगर निगम कमिश्नर की ओर से निलंबन का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा गया था।

रविंद्र हरणे का मूल पद उपयंत्री है। उनके पास सहायक यंत्री का प्रभार है और दक्षिण क्षेत्र में पेयजल प्रदाय की व्यवस्था इन्हीं के जिम्मे थी। 4 जून को नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल ने शहर में पेयजल प्रदाय में आ रही दिक्कतों की समीक्षा के लिए पीएचई अधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में आयुक्त ने तापी कंपनी द्वारा शहर में बिछाई जा रही पाईप लाइन के कार्य की प्रगति जानना चाही।

रविंद्र हरणे इस पर कोई जवाब नहीं दे सके। उन्हें पता ही नहीं था कि कंपनी ने कहां कितना काम किया है। इससे पहले भी रविंद्र हरणे को गऊघाट प्लांट पर रिटेनिंग वॉल बनवाने का काम सौंपा गया था। यह काम भी समय पर पूरा नहीं हो सका। पिछले 7 से 8 महीनें से नगर निगम कमिश्नर लगातार तापी कंपनी पर निविदा शर्तो के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई के लिए निर्देशित कर चुके थे लेकिन प्रभारी सहायक यंत्री रविंद्र हरणे कंपनी के खिलाफ कार्रवाई से बचते रहे और कमिश्नर के आदेश का उल्लंघन करते रहे।

नगर निगम कमिश्नर ने इससे पहले उनका वेतन काटने के भी निर्देश जारी किए थे लेकिन हरणे की कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नहीं आया। आखिरकार शुक्रवार को नगर निगम कमिश्नर ने हरणे के निलंबन का प्रस्ताव कलेक्टर आशीषसिंह के पास भेज दिया।

13 साल से लटका रही कंपनी

नागपुर की तापी कंपनी को शहर में पाइप लाइन डालने का ठेका दिया गया था। इस कंपनी ने शहर में उन इलाकों में पाइप लाइन डाल दी जहां इसका उपयोग ही नहीं है। कई जगहों पर पाइप लाइन इंटरलिंक ही नहीं की गई। मनमाने तरीके से डाली गई पानी की पाइप लाइन का कंपनी समय समय पर नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों से ऑडिट कराकर बिल की रकम वसूलती रही। पिछले लगभग 6 माह से नगर निगम कमिश्नर तापी कंपनी पर काम पूरा करने को लेकर दबाव बनाए हुए है लेकिन अधिनस्थ अधिकारी ही इस मामले में उनका साथ नहीं दे रहे है।

कार्यपालन यंत्री पर मेहरबानी

तापी कंपनी द्वारा शहर में पाईप लाइन बिछाने के काम की मॉनिटरिंग करने की असल जिम्मेदारी पीएचई के प्रभारी कार्यपालन यंत्री आर.के. खंडेलवाल की है। पिछले लगभग 2 माह से उनके पास कार्यपालन यंत्री का चार्ज है, इस अवधि में वे कुछ ही घंटो के लिए अपने कार्यालय में पहुंचे। प्रभारी सहायक यंत्री रविंद्र हरणे के साथ ही खंडेलवाल भी लापरवाही के दोषी है बावजूद इसके उनके खिलाफ निगम कमिश्नर ने अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है।

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