दिन-रात जी तोड़ मेहनत करता रहा, परिश्रम की भट्टी में हर पल तपता रहा, तुम्हारा भविष्य सुनहरा बनाने के लिए, सोने से कुंदन में परिवर्तित होता रहा। जिम्मेदारी के नाम पर छलता रहा, कोल्हू के बैल की तरह चलता रहा। झाबुआ। उक्त पंक्तियां कोल्हू के बैल की तरह हर समय […]
