जिला प्रशासन द्वारा बीते दिनों मेडिकल स्टोर पर नशे दवाओं के दुरुपयोग को लेकर एक मेडिकल का लायसेंस निरस्त कर दिया गया वहीं पांच दुकानों को निलंबित कर दिया गया। इससे कुछ नहीं होने वाला है साहब यहां पर अमले को सक्रिय करना होगा और उसे मुस्तैदी से कार्य करने की नसीहत देना होगी। लेकिन जिले के मुखिया को शायद यह याद नहीं होगा कि शहर में सबसे बड़ा हादसा जो हुआ था वह था झिंझर कांड जिसके कारण अनेक लोगों की जान चली गयी थी। अगर जिला प्रशासन का अमला दुकानों की जांच नियमित रूप से करता तो शायद झिंझर कांड नहीं होता। अभी भी अमले ने 10-12 दवा विक्रेताओं के जांच कर खानापूर्ति की कार्रवाई कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली। अब इसे शहर की जनता क्या समझे कि जिला प्रशासन का अमला सक्रियता से अपना काम कर रहा है। साहब शहर में एक नहीं बल्कि हजारों दवा विक्रेता अपने व्यवसाय को अंजाम देते हैं। अगर सभी दुकानों को कुछ समय देकर निष्पक्षता से जांचा जाये तो अनेक ऐसी दवाएं मिल जायेंगी जो नशे से भी खतरनाक हैं।
जिला प्रशासन को झिंझर कांड की पुनरावृत्ति ना हो इसका भी ध्यान रखना होगा।