6 अगस्त का दिन भी मेरी पुरातन उज्जैयिनी के इतिहास में अंकित हो गया है। शहर को 4 लाख 30 हजार मतदाताओं ने आने वाले 1825 दिनों (5 वर्षों) के लिये नगर सरकार को सौंप दी है। कल से नयी नवेली नगर सरकार का कार्यकाल शुरू हो गया है या इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि 1825 दिनों की बादशाहत का एक दिन कम हो गया है।
समय पंख लगाकर उड़ता है पाँच वर्ष कब कैसे निकल जायेंगे पता ही नहीं पड़ेगा। शहर के मतदाताओं के जनादेश में महापौर और अध्यक्ष का सत्तारूढ़ दल से होना भी उज्जैन के लिये सौभाग्य की बात है। दैनिक अग्निपथ परिवार नगर निगम उज्जैन के प्रथम नागरिक (महापौर) व निगम अध्यक्ष सहित समस्त पार्षदों को कार्यभार संभालने पर बधाई देते हुए यशस्वी कार्यकाल की कामना करता है।
शहर इस समय अपने संक्रांति काल से गुजर रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी परियोजना अंतर्गत अरबों का आवंटन है पुराने शहर के महाकालेश्वर मंदिर वाला काफी बड़ा क्षेत्र तो फिल्मी स्टुडियो की तरह नजर आने लगा है। सम्पूर्ण निर्माण होने के बाद शहर का यह क्षेत्र सिंगापुर व दुबई की सुंदरता से टक्कर लगेगा इसमें संशय की कोई गुंजाइश नहीं है।
स्मार्ट सिटी परियोजना पर लक्ष्मी इस कदर मेहरबान है कि अच्छी खासी सडक़ को उखाडक़र उस पर नयी सडक़ बनायी जा रही है। आने वाला समय प्रदेश में उज्जैन का ही होगा यहां का धार्मिक पर्यटन शायद दोगुना हो जायेगा, तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से व्यापार-व्यवसाय में अप्रत्याशित वृद्धि होना तय है।
सिक्के का एक पहलू जहाँ सुखद है वहीं दूसरी ओर स्थानीय नगर निगम उज्जैन अपने इतिहास के सबसे बुरे दिनों से गुजर रहा है। विगत दो वर्षों के अधिकारियों के कार्यकाल में निगम आर्थिक रूप से कंगाल हो ही गया है, साथ ही इस शहर के नागरिकों के साथ मानसिक जुड़ाव का जो ताना बाना था वह भी छिन्न-भिन्न हो गया है।
देश की आजादी के बाद ऐसा लगा कि शिवाजी भवन में काले अँग्रेजों की सरकार है ना तो जनप्रतिनिधियों से सामंजस्य, ना जिले के मुखिया से और ना ही शहर नागरिकों से कोई सरोकार।
विगत दो वर्षों से नगर निगम द्वारा किये जाने वाले विकास कार्यों को जैसे ग्रहण लग गया हो। शुरुआत करते हैं इंदौर रोड स्थित स्वर्ग-सुंदरम टॉकीज परियोजना की पहली छत डलने के बाद ही भुगतान ना होने के कारण ठेकेदार भाग खड़ा हुआ।
- कवेलू कारखाने की जिला प्रशासन द्वारा रिक्त करायी गयी भूमि पर आज तक निगम कोई योजना नहीं बना सका।
- मंछामन में गरीबों के लिये बनायी जा रही बहुमंजिला इमारतों के निर्माण का कार्य बंद। दूधतलाई स्थित सुदामानगर-अनाज मार्केट अपने उद्धार की राह देख रहा है।
- मालीपुरा स्थित पुरानी सब्जी मार्केट नेस्तनाबूद तो कर दिया परंतु निविदा होने के बाद भी एक ईंट भी नहीं लग पायी।
- फ्रीगंज स्थित गुरुनानक मार्केट के सामने निगम काम्प्लेक्स का काम बंद।
- फाजलपुरा स्थित मछली मार्केट का निर्माण अभी तक नहीं।
- कानीपुरा स्थित प्रधानमंत्री आवास योजना की बहुमंजिला इमारतों का कार्य भुगतान ना होने के कारण बंद पड़ा है और विडम्बना यह है कि हितग्राही बैंक से ऋण प्राप्त कर चुके हैं ऋण के भुगतान की किश्तें चालू हो गयी है और उन्हें छत नहीं मिल पा रही है।
प्रशासकीय कार्यकाल की विफलता की लंबी फेहरिस्त है। शहर के विकास में अपना योगदान देने वाले ठेकेदारों को सितम्बर 2020 का आधा अधूरा भुगतान ही हो पाया है। भुगतान ना मिलने के कारण विगत साल-डेढ़ साल से शहर में विकास बंद है। ठेकेदारों के लगभग 100-150 करोड़ की लेनदारी है।
किसी परिवार के मुखिया का ईमानदार होना ही उसे कुशल व प्रवीण नहीं बनाता है उसे ईमानदार के साथ कुशल संगठक या कुशल कप्तान साबित होना भी आवश्यक है। नगर निगम उज्जैन की वर्तमान स्थिति यह है कि आधे से अधिक कर्मचारी कारण बताओ सूचना पत्र प्राप्त कर चुके हैं और दर्जनों कर्मचारी-अधिकारी निलंबित है। निगम के कार्यालय खाली हो गये हैं।
मुखिया की तारीफ जब है जब वह बिगड़े हुए कर्मचारियों से काम लेकर उन्हें सुधारने की क्षमता रखता हो। मात्र द्वेषतावश निलंबन से अधिकारी-कर्मचारी बिना कार्य किये मुफ्त का आधा वेतन प्राप्त कर ही रहे हैं शेष बचा हुआ भी येन-केन प्रकारेण वह प्राप्त कर ही लेंगे इसमें नुकसान निगम का ही हो रहा है।
स्वयं का ईमानदार होना तो समझ में आता है परंतु नाक के नीचे ही मातहत चाँदी कूट रहे हो और आपको जानकारी ना हो यह समझ में नहीं आता है। मुखिया से नजदीकी पाने के लिये दूसरों को निपटवाने का शह और मात के खेल का मैदान है नगर निगम।
आ चुकी महापौर परिषद और पार्षद साथियों के लिये उनका यह कार्यकाल चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। नागरिकों के मन से नगर निगम के प्रति खोये हुए विश्वास की स्थापना के साथ ही जिला प्रशासन और उसके मुखिया से सामंजस्य बैठाना बड़ी प्राथमिकता होगी, साथ ही आगामी सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर नगर के विकास की दूरदर्शी योजनाओं का निर्माण और उनका क्रियान्वयन भी जरूरी होगा। उम्मीद है एक सीधे-साधे, सरल, ह्रदय के अच्छे व्यक्ति नगर के प्रथम नागरिक यह सब कर पायेंगे।
जय महाकाल