उज्जैन, अग्निपथ. शिप्रा नदी को एक नया रूप मिल रहा है! कल्पना कीजिए, 30 किलोमीटर से भी ज़्यादा लंबे घाटों का निर्माण होने वाला है, जो इस पवित्र नदी के किनारे को पूरी तरह बदल देगा. 800 करोड़ से ज़्यादा की लागत वाली यह विशाल परियोजना उज्जैन को श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाएगी.
उज्जैन के एक घाट का नाम होगा अहिल्याबाई होलकर के नाम पर
शिप्रा रिवरफ्रंट के विकास के लिए हाल ही में हुए भूमिपूजन समारोह में मुख्यमंत्री ने एक बेहद खास बात का ऐलान किया: एक घाट का नाम महारानी अहिल्याबाई होलकर के नाम पर रखा जाएगा. यह फैसला उस महान रानी को श्रद्धांजलि है, जो अपने धार्मिक और सार्वजनिक कार्यों के लिए जानी जाती हैं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष आग्रह था कि वे इस घाट निर्माण के भूमिपूजन में खुद शामिल हों, क्योंकि उज्जैन एक तीर्थ नगरी है. उन्होंने कहा कि संतों के साथ भूमिपूजन का आनंद ही कुछ और है, और इसी वजह से उन्होंने माता अहिल्या का पूजन कर यह भूमिपूजन किया है.
एक नया रूप लेती शिप्रा: सिर्फ घाट ही नहीं, और भी बहुत कुछ
यह परियोजना केवल घाटों के निर्माण तक ही सीमित नहीं है; यह शिप्रा नदी के किनारे का एक पूर्ण परिवर्तन है. 30 किलोमीटर लंबी नई घाटों की श्रृंखला से कुंभ मेले के दौरान 24 घंटे में 5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु आसानी से स्नान कर पाएंगे.
धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा, शिप्रा नदी भविष्य में परिवहन का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी. आने वाले समय में वालमीकि धाम से सिद्धनाथ घाट, शनि मंदिर से गौ घाट, और लालपुर से छोटे पुल तक नौका विहार की सुविधा भी उपलब्ध होगी. नदी में पानी का स्तर बना रहे, इसके लिए सिलारखेड़ी योजना भी शुरू की गई है.
आधुनिक सुविधाएं और बेहतर तीर्थयात्रा अनुभव
शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर, शनि मंदिर से नागदा बाईपास तक बनने वाले इन घाटों में आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी. इनमें ये खास बातें होंगी:
- पूजा के लिए विशेष चबूतरे.
- आकर्षक लाइटिंग.
- बदलने के लिए कमरे (Changing Rooms).
- पीने के पानी की सुविधा.
- दिव्यांगों के लिए रैंप.
हर घाट की शुरुआत में 5 मीटर चौड़ा ऊपरी लैंडिंग प्लेटफॉर्म होगा, जिसके बाद लगभग 3.5 मीटर चौड़ी सीढ़ियां और 6 मीटर चौड़ा निचला लैंडिंग प्लेटफॉर्म बनेगा, जिससे सभी के लिए पहुंच आसान होगी. घाटों का निर्माण लाल पत्थर से होगा और हर 500 मीटर पर 15 मीटर चौड़ा प्रवेश मार्ग तैयार किया जाएगा. सिद्धवट मंदिर, भर्तृहरि गुफा, अंगारेश्वर मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, राम घाट, दत्त अखाड़ा, नृसिंह घाट, गुरुद्वारा घाट, भूखी माता घाट, गौ घाट, प्रशांति धाम घाट, त्रिवेणी संगम घाट, शनि मंदिर और कान्ह नदी के दोनों तटों सहित कई प्रमुख स्थान इस विकास परियोजना में शामिल हैं. यह महत्वाकांक्षी परियोजना दिसंबर 2027 तक पूरी होने की उम्मीद है.
शहर को जोड़ती शिप्रा किनारे नई सड़क
घाटों के साथ-साथ, प्रशासन ने शिप्रा किनारे 25 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की भी तैयारी कर ली है. कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने बताया कि यह सड़क घाटों से 200 मीटर की दूरी पर शनि मंदिर त्रिवेणी से भैरवगढ़ क्षेत्र के नागदा बाईपास तक बनेगी.
फिलहाल, दत्त अखाड़ा की तरफ की सड़क को मंजूरी मिल गई है. यह सड़क लगभग 1200 करोड़ की लागत से बनेगी और 75 फीट चौड़ी होगी. निर्माण करने वाली एजेंसी का चयन भी इसी महीने हो जाएगा. दूसरी तरफ की सड़क के लिए अभी ज़मीन अधिग्रहण किया जाएगा, जिसके बाद सड़क का निर्माण होगा. दत्त अखाड़ा क्षेत्र की सड़क का निर्माण सिंहस्थ से पहले घाटों के साथ ही हो जाएगा.
यह व्यापक विकास परियोजना उज्जैन की आध्यात्मिक महत्ता को बढ़ाने के साथ-साथ यहाँ के निवासियों और आगंतुकों के लिए बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी में भी सुधार करेगी.