माता महालया और महामाया को कलेक्टर ने लगाया मदिरा का भोग

महाकाल लोक लोकार्पण सफलता की कामना भी की, 27 किमी तक शराब की धार लगी

उज्जैन, अग्निपथ। शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर उज्जैन में सोमवार सुबह पारंपरिक रूप से शासकीय नगर पूजा की गई। कलेक्टर आशीष सिंह ने महालया और महामाया देवी को मदिरा का भोग लगाया। पूजा और आरती के बाद कलेक्टर ने शराब की हांडी लेकर शहर में शराब की धार चढ़ाने की शुरुआत की।

दुर्गाष्टमी पर शहर में 27 किलोमीटर क्षेत्र में शराब की धार लगाई जाती है। इस दौरान शराब की धार नहीं टूटती है। कलेक्टर ने 11 अक्टूबर को होने वाले महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम के लिए भी माता से आशीर्वाद मांगा।

कलेक्टर ने सोमवार सुबह 9 बजे गुदरी चौराहा स्थित चौबीस खंभा मंदिर पर माता महालया और महामाया की पूजा की। ढोल-नगाड़ों के बीच महाआरती हुई और माता को मदिरा का भोग लगाया गया। माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री, चुनरी और बड़बाखल अर्पित की गई। माता से नगर की सुख-समृद्धि और प्राकृतिक प्रकोप से रक्षा की कामना की गई। पूजन के बाद सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में शासकीय दल मंदिर से हांडी के जरिए मदिरा की धार चढ़ाते हुए आगे बढ़ा। कलेक्टर ने कुछ दूर चलकर परंपरा को शुरू किया।

सुबह 9 बजे चौबीस खंभा मंदिर से शुरू हुई नगर पूजा का समापन रात 8 बजे हांडीफोड़ भैरव मंदिर पर हुआ। इस दौरान दल नगर के 40 से अधिक देवी, भैरव और हनुमान मंदिरों में पूजन किया गया।

12 घंटे-27 किमी की अटूट धार

नगर पूजा के लिए माता पूजन के बाद शासकीय दल निकला। परंपरा के अनुसार दल में सबसे आगे कोटवार मदिरा से भरी मिट्टी की हांडी लेकर चला। हांडी में बने छोटे से छिद्र से मदिरा की धार पूरी यात्रा के दौरान अनवरत बहती रही। ढोल के साथ निकले दल ने 12 घंटे तक 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी समेत 40 देवी, भैरव व हनुमान मंदिरों में पूजा की।

इस दौरान ध्वज अर्पित किया गया। नगर पूजा रात करीब 8 बजे गढक़ालिका माता मंदिर में पूजन के बाद अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर में हांडी फोडक़र पूजन का समापन हुआ।

समृद्धि-आपदाओं से बचाव के लिए पूजन

नगर पूजा करने का इतिहास हजार साल पुराना है। मान्यता है कि उज्जैयिनी के राजा सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल से ही चौबीस खंभा माता मंदिर में नगर पूजन की शुरुआत हुई थी। सम्राट विक्रमादित्य माता महालाया और महामाया के साथ ही भैरव का पूजन कर नगर पूजा करते थे, जिससे नगर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।

किसी बीमारी या प्राकृतिक प्रकोप का भय नहीं रहे। इसी वजह से नवरात्रि पर्व की महाअष्टमी पर पूजन कर माता और भैरव को भोग लगाया जाता है, जिससे माता और भैरव प्रसन्न होकर नगर की रक्षा करें। मदिरा का भोग लगाने के बाद पूरे नगर में मदिरा की धार इसलिए भी लगाई जाती है कि अतृप्त आत्माएं भी तृप्त होकर नगर की रक्षा करें।

मदिरा पान के लिए टूटे श्रद्धालु

मदिरा का प्रसाद चौबीस खंभा माता मंदिर पर महाअष्टमी के पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे। सभी को माता को भोग लगाई गई मदिरा का प्रसाद वितरण किया गया। कई श्रद्धालुओं ने प्रसाद स्वरूप दो से तीन बार प्रसाद ग्रहण किया। चौबीस खंभा मंदिर पर पूजन के बाद दोपहर 12 बजे हरसिद्धि माता मंदिर पर शासकीय पूजा हुई। यहां भी जिला प्रशासन की ओर से मंदिर के गर्भगृह में माता हरसिद्धि का पूजन अर्चन कर श्रृंगार सामग्री अर्पित की गई।

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