बिजली विभाग ने शहर में स्मार्ट मीटर लगाने शुरू कर दिए हैं। रतलाम और इंदौर के बाद अब उज्जैन वह तीसरा शहर बन गया है जहां स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। विभाग का दावा है कि स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को फायदा है। इसके जरिए विभाग का तकनीकी विभाग दफ्तर से ही मीटर रीडिंग ले लेगा।
मीटर रीडर को घर आने की जरूरत नहीं होगी। उर्जस एप के जरिए उपभोक्ता भी अपनी बिजली खपत मोबाइल के जरिए जब चाहें देख सकते हैं। विभाग का यह दावा ख्याली पुलाव न बन जाएं क्योंकि सिर्फ मीटर स्मार्ट होने से कुछ नहीं होता, विभाग की वर्किंग भी स्मार्ट होना जरूरी है।
ऐसे कई वाकये बिजली विभाग में रोज देखे जा सकते हैं, जिसमें बिजली विभाग मनमानी रीडिंग का बिल भेजता है और उसमें सुधार कराने आए उपभोक्ता द्वारा मोबाइल पर लाए गए रीडिंग की तस्वीर को भी कार्यालय में बैठीं अल्पज्ञानी युवतियां मानने को तैयार नहीं होती। रीडिंग कम हो तो आंकलित खपत जोड़ दी जाती है, कर्मचारियों का तर्क होता है आपके लोड के मुताबिक इतनी रीडिंग तो आना ही चाहिए, कम आयी है तो आपने कुछ गड़बड़ी की होगी। जो उपभोक्ता बिजली बचा-बचा कर खपत कम कर रहा है, वो ठगा-सा रह जाता है।